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जल संरक्षण को लेकर देशभर में मिसाल बना हरियाणा 

पीएम मोदी ने भी मनोहर सरकार की जल संरक्षण योजनाओं को सराहा

हरियाणा सरकार की दो दिवसीय जल संगोष्ठी 26-27 अप्रैल को
LP Live, Chandigarh: हरियाणा सरकार की जल संरक्षण नीति की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी तारीफ की है। प्रदेश में पानी की मांग को पूरा करने और भावी पीढ़ी को विरोसत में भूजल मुहैया कराने की दिशा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार सभी स्रोतों के जल के समुचित उपयोग को प्रोत्साहन दे रही है। इस दिशा में हरियाणा सरकार द्वारा दो 26-27 अप्रैल को दो दिवसीय जल संगोष्ठी आयोजित कर रही है।

प्रदेश में मेरा पानी मेरी विरासत जैसी योजनाओं के माध्यम से जल की मांग को पूरा करने के लिए जल संरक्षण की दिशा में हरियाणा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा सरकार की अटल भूजल योजना, जल शक्ति अभियान, राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना, हरियाणा उपचारित अपशिष्ट जल सिंचाई परियोजना, तालाब जीर्णोद्धार परियोजना, मिकाडा, धान की सीधी बुवाई, मुख्यमंत्री प्रगति किसान सम्मान योजना, जलभराव वाले क्षेत्रों का उद्धार, मृदा संरक्षण परियोजनाएं, अमृत मिशन और वर्षा जल छत संचयन इत्यादि योजनाएं अन्य राज्यों के लिए मॉडल बनती जा रही है। इसीलिए जल संरक्षण के प्रहरी के रुप में खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल जल संसाधनों को संरक्षित रखने और जल संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए कार्य कर रहे है। वहीं प्रदेश में वर्तमान समय की पानी की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ भविष्य में पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करने हेतु मुख्यमंत्री द्वारा उपचारित पानी का पुनः उपयोग, सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देना, फसल विविधीकरण, तालाबों का जीर्णोद्धार कर उसके पानी का सिंचाई व अन्य कार्यों हेतू उपयोग को बढ़ावा देने जैसी विभिन्न पहलें शुरू की गई हैं। जनता की पर्याप्त जल आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण द्वारा पंचकूला में 26-27 अप्रैल को जल संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। भारत की इस पहली जल संगोष्ठी में विभिन्न विभागों द्वारा जल संकट से निपटने और राज्य में जल स्तर को कैसे बढ़ाया जाए, इस बारे मंथन किया जाएगा। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य आमजन मानस को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना है।

क्या है जल की स्थिति
हरियाणा में वर्तमान में सतही जल, भूजल और उपचारित अपशिष्ट जल को मिलाकर हरियाणा की कुल जल उपलब्धता 21 बीसीएम है। जबकि सभी क्षेत्रों को मिलाकर जल की कुल मांग 35 बीसीएम है। इस लिहाज से पानी की उपलब्धता और मांग में 14 बीसीएम का अंतर है। पानी की कमी से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने सभी विभागों और जनता से थ्री-आर सिद्धांत यानी रिडयूस, रिसाईकल और रियूज को अपनाने का आह्वान किया है, जो न केवल जल संरक्षण व जल संचयन में उपयुक्त सिद्ध होगा, बल्कि प्रदेश के एकीकृत विकास में भी अहम योगदान देगा।

सु-जल पहल अनोखी योजना
पानी की हर बूंद को बचाने तथा इसके उचित प्रबंधन के लिए राज्य सरकार ने एक द्विवार्षिक कार्य योजना तैयार की है, जिसका उद्देश्य पानी का उपयोग और उपचारित पानी का पुन: उपयोग सुनिश्चित करना है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने अपनी तरह की अनोखी योजना सु-जल की शुरुआत की। यह अनूठी पहल जल संरक्षण के क्षेत्र में कारगर साबित हो रही है। पंचकूला में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की गई इस योजना के सफल परिणाम आने के बाद पूरे प्रदेश में सु-जल योजना की शुरुआत की जाएगी।

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