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मुजफ्फरनगर में बड़ा हादसा टला: बिना लाइसेंस बाइक चला रहे नाबालिग छात्रों की कार से भिड़ंत, लापरवाही उजागर

LP Live, Muzaffarnagar: शहर के सरकुलर रोड पर मंगलवार सुबह स्कूल जाते समय एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया, जब तेज रफ्तार में बाइक चला रहे दो बाइकों पर सवार चार नाबालिग छात्र आगे जा रही एक कार से जा भिड़े। चारों स्कूल यूनिफॉर्म में थे, जिसमे दो एमजी पब्लिक स्कूल व दो डीएस पब्लिक स्कूल के 11वीं कक्षा के छात्र थे। गनीमत रही कि हादसे में किसी को गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन बाइक और कार दोनों बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, छात्र बिना हेलमेट और बिना ड्राइविंग लाइसेंस के स्कूल यूनिफार्म में बाइक चला रहे थे।

प्रतिबंध के बावजूद नाबालिक बच्चे दौड़ा रहे वाहन

उत्तर प्रदेश शासन ने सड़क हादसे रोकने को नाबालिग छात्र छात्राओं के  वाहन चलाने पर  प्रतिबंध लगाया था, इसमें स्कूलों को भी ARTO की तरफ़ से नोटिस भेजे गए थे, नोटिस के  बाद कई स्कूलों ने  नाबालिग वाहन चालकों की एंट्री पर  प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इसके बाद भी बच्चों के वाहन स्कूल के बाहर खड़े होने की ढ़ील से बच्चे स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के सामने अपनी मनमानी चला रहे हैं।  इस लापरवाही की बानगी मंगलवार को देखने को मिली, जब डीएस पब्लिक स्कूल और एमजी पब्लिक स्कूल के छात्रों की बाइक आगे जा रही कार में भिड़ी। स्थानीय नागरिकों ने तुरंत स्थिति को संभालते बच्चों की मदद की। उधर, कार चालक ने खुद को कस्टम डिपार्टमेंट का दरोगा बताकर बच्चों की बाइकों की चाबी निकालकर अपने पास ले ली।  बच्चों के  अभिभावकों को बुलाने के चक्कर में क़रीब आधे घंटे तक वहाँ स्थानीय लोगों और कार  चालक के  बीच बहसबाजी होती रही।  अंत में बच्चों की परीक्षा छूटने को लेकर स्थानीय लोगों ने जबरन बच्चों की बाइक की चाबी उन्हें सौंपी, जिसके बाद वह स्कूल में पहुंचे। 

स्थानीय लोग बोले अभिभावक भी जिम्मेदार

स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि जब नाबालिग बच्चे बिना लाइसेंस के खुलेआम तेज़ रफ्तार वाहन चला रहे हैं, तो अभिभावकों के साथ-साथ स्कूलों की भी जवाबदेही तय होनी चाहिए। “अगर आज कोई जान चली जाती तो कौन ज़िम्मेदार होता?” स्थानीय लोगों ने कहा कि सरकुलर रोड एमजी पब्लिक स्कूल, केंद्रीय विद्यालय सहित डीएस पब्लिक स्कूल के बाहर स्कूली बच्चे अपने वाहन खड़े करते हैं। इस वाहनों के खिलाफ पुलिस को अभियान चलाना चाहिए, ताकि नाबालिग बच्चों को वाहन देते समय अभिभावक चालान से खबराए और बच्चों के जीवन को लेकर गंभीरता लाए।

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