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अब यूपी में भी होगा ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण

यूपी डिफेंस कॉरिडोर से ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड’ नीति से बढ़ेगी रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता: रक्षामंत्री
LP Live, Lucknow: नई दिल्ली से रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वर्चुअल माध्यम से लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी का उद्घाटन किया। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में चार नई अत्याधुनिक निर्माण इकाइयों का भी शिलान्यास भी किया गया।

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राजनाथ सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी के उद्घाटन वाला यह दिन 1998 में पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण की याद दिलाता है, जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भारत ने अपनी सामरिक ताकत का प्रदर्शन किया था। ब्रह्मोस भारत और रूस की उच्च रक्षा प्रौद्योगिकी का संगम है। जैसे यूपी में प्रयाग अपने संगम के लिए दुनिया में जाना जाता है, वैसे ही लखनऊ तकनीकी के संगम के रूप में स्थापित होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सुविधा रोजगार के अवसर पैदा करेगी और छोटे एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को मजबूती देगी। भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड’ नीति के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने इस ऐतिहासिक अवसर पर आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का भी जिक्र किया। रक्षामंत्री ने अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर को भारत की राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया। रक्षामंत्री ने बताया कि भारतीय सेना की कार्रवाई सीमा से सटे ठिकानों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसकी धमक पाकिस्तानी सेना के हेडक्वार्टर रावलपिंडी तक सुनाई दी।

चार नई अत्याधुनिक निर्माण इकाइयों का शिलान्यास
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में चार नई अत्याधुनिक निर्माण इकाइयों का भी शिलान्यास हुआ। इसमें एयरोस्पेस प्रिसीजन कास्टिंग प्लांट भी शामिल रहा, जहां जेट इंजन और एयरक्राफ्ट सिस्टम्स के लिए महत्वपूर्ण प्रिसीजन कंपोनेंट तैयार किए जाएंगे। इसके साथ ही, एयरोस्पेस फोर्ज शॉप एंड मिल प्रोडक्ट्स प्लांट का भी शिलान्यास हुआ, जिसमें टाइटेनियम व सुपर एलॉय से बने बार्स, रॉड्स और शीट्स बनाए जाएंगे। एयरोस्पेस प्रिसीजन मशीनिंग शॉप के तहत जेट इंजन के सूक्ष्मतम स्तर पर घटकों की मशीनिंग की जाएगी, जबकि स्ट्रैटेजिक पाउडर मेटलर्जी फैसिलिटी के तहत भारत में पहली बार स्वदेशी तकनीक से टाइटेनियम और सुपर एलॉय मेटल पाउडर का निर्माण होगा।

सीएम योगी के प्रयासो सपना पूरा
रक्षामंत्री ने बताया कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी परियोजना का शिलान्यास उन्होंने स्वयं किया था और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे मात्र 40 महीनों में पूरा कर दिखाया है। उन्होंने इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की सराहना की। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने लखनऊ को लेकर सपना देखा था कि मेरा शहर भारत के डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में योगदान दे। ब्रह्मोस मिसाइल को दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइलों में से एक बताते हुए उन्होंने इसे न केवल एक हथियार, बल्कि भारत की सैन्य ताकत, प्रतिरोधक क्षमता और सीमा सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।

यूपी को विकास की ऊंचाइयों तक ले जाएगा डिफेंस कॉरिडोर
रक्षामंत्री ने उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर को भारत के रक्षा उत्पादन का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। यह कॉरिडोर लखनऊ, कानपुर, झांसी, चित्रकूट, आगरा और अलीगढ़ से होकर गुजरता है। उन्होंने कहा कि ये सभी नोड्स भविष्य में विकास के नए केंद्र बनकर उभरेंगे। उन्होंने कानपुर का उदाहरण देते हुए कहा कि यह क्षेत्र कभी ‘मैनचेस्टर ऑफ द ईस्ट’ के नाम से जाना जाता था, लेकिन आजादी के बाद यह पिछड़ गया। डिफेंस कॉरिडोर के माध्यम से कानपुर और अन्य नोड्स को फिर से विकास की ऊंचाइयों तक ले जाया जाएगा। यूपी डिफेंस कॉरीडोर के साथ एक बार फिर कानपुर विकास की उन ऊंचाइयों को छुएगा कि जो पूरी दुनिया के लिए अनुकरणीय होगा। कल को वेस्ट में कोई शहर बहुत अधिक प्रगति करेगा तो उसे ‘कानपुर ऑफ दि वेस्ट’ कहा जाएगा।

34 हजार करोड़ के हुए 180 समझौते
रक्षामंत्री ने बताया कि डिफेंस कॉरिडोर में विमान निर्माण, यूएवी, ड्रोन्स, गोला-बारूद, कंपोजिट सामग्री, छोटे हथियार, टेक्स्टाइल और पैराशूट जैसे क्षेत्रों में बड़े निवेश किए गए हैं। लखनऊ में पीटीसी इंडस्ट्रीज द्वारा टाइटेनियम और सुपर अलॉय सामग्री संयंत्र की शुरुआत की जा रही है, साथ ही सात अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं की नींव रखी गई है। उन्होंने कहा कि हमारा सपना है कि उत्तर प्रदेश दुनिया के शीर्ष रक्षा उत्पादन केंद्रों में से एक के रूप में जाना जाए। अब तक कॉरिडोर में 34 हजार करोड़ रुपये के लगभग 180 एमओयू साइन किए जा चुके हैं और 4 हजार करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है।

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