तेजी से बचाव व राहत कार्यो में जुटी एजेंसियां, पीड़ितों को पुनर्वास केंद्रों में पहुंचाने का काम जारी
LP Live, Desk: उत्तराखंड के जोशीमठ के लगातार बिगड़ते हालात को लेकर केंद्र सरकार भी गंभीर है, जिसके लिए पीएम मोदी ने भी उच्च स्तरीय बैठक करके बचाव और राहत कार्यो में तेजी लाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। केंद्र और राज्य सरकार ने युद्धस्तर लोगों को आपदा से निकालकर सुरक्षित ठिकानों पर भेजना शुरू कर दिया है। वहीं रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने जोशीमठ में क्षेत्र के हालात को लेकर आर्मी बेस में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक करके गहन चर्चा की।
उत्तराखंड में चमोली जिले में चीन सीमा के सबसे करीबी शहर जोशीमठ के अस्तित्व पर भू धंसाव की प्राकृतिक आपदा ने गहरा संकट खड़ा कर दिया है। यहां भवनों, दुकानों, सड़कों आदि में आ रही दरारों से हर किसी के बीच खौफ का वातावरण बन रहा है। आपदा प्रभावित इलाकों में बचाव व राहत कार्य में जुटी आपदा प्रबंधन एवं प्रशासनिक टीमों द्वारा तेज़ी से बदलते हालात की वजह से हज़ारों परिवारों को पुनर्वास केंद्रों में ले जाया जा रहा है। वहीं इस खौफ के बीच लोग दिन-रात-दिन सड़को पर हैं, जहां सड़कों में भी बड़ी बड़ी दरारे पड़ती जा रही है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी हवाई दौरा करके जोशीमठ के हालतों पर नजर रखे हुए हैं और पीड़ितों से मिलकर उन्हें मदद का भरोसा भी दे रहे हैं।
एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें तैनात
प्रधानमंत्री की इस आपदा पर हुई उच्च स्तरीय बैठक के बाद सुरक्षा और बचाव ऐजेंसियां पूरी तरह से सक्रीय हैं और जोशीमठ शहर में एनडीआरएफ़ की एक टीम और एसडीआरएफ़ की चार टीमों को तैनात कर दिया है। इन टीमों के साथ जिला प्रशासन द्वारा जोशीमठ में रिहायशी इलाकों के घरो को खाली कराकर कर परिवारों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने का काम तेजी से चलाया हुआ है। इस आपदा के बीच जोशीमठ में आलीशान केई इमारते जमीन धंसने से पड़ी दरारों के कारण ताश के पत्तों की तरह बिखर कर गिर गई हैं। वहीं मकानों में पड़ती दरारों से खौफ खाते लोग अपने घरों से समान समेटने में लगे हैं। हालांकि सरकारी अमला और सेना तथा अन्य संस्थाओं के दल बचाव व राहत कार्य में जुटे हैं और लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचा रहे हैं।
रक्षा राज्य मंत्री ने दिया मदद का भरोसा
जोशीमठ में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद केंद्र सरकार की ओर से रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने प्रभावित लोगों से मुलाकात करके हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। चीन से करीब 90 किलोमीटर की दूरी सीमा पर लगे जोशीमठ शहर बसा हुआ है। सीमा पर भारतीय सेना की ब्रिगेड भी सीमा की निगरानी कर रही है। वहीं जोशीमठ में आईटीबीपी की एक बटालियन भी तैनात है। औली और आस-पास के तमाम सीमा रेखा की निगरानी सेना और आईटीबीपी मिलकर करती हैं।
जमादोश का खतरा बढ़ा
उत्तराखंड के जोशीमठ शहर पर ज़मीन में समाने का ख़तरा हर घंटे के साथ बढ़ता जा रहा है। इस पूरे क्षेत्र को ‘सिंकिंग ज़ोन’ करार दिया गया है। जमीन के धसकने से छह सौ से ज्यादा मकान ध्वस्त हो चुके हैं। ऐसे हालात में चमोली ज़िला प्रशासन ने जोशीमठ स्थित अपनी सरकारी इमारत में दरारें आने के बाद उसे खाली करना शुरू कर दिया है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्यकारी निदेशक और भूगर्भशास्त्री पीयूष रौतेला ने के अनुसार जोशीमठ की ज़मीन के नीचे क्या चल रहा है। पीयूष रौतेला कहते हैं कि दो से तीन जनवरी की दरमियानी रात को भूगर्भीय जल स्रोत फटने की वजह से जोशीमठ के घरों में दरारें आना शुरू हो गयी हैं। उनका मानना है कि इस भूगर्भीय जल स्रोत से हर मिनट चार से पांच सौ लीटर पानी निकल रहा है। इस बर्फ़ीले पानी की वजह से भूगर्भीय चट्टान का क्षरण हो रहा है। अब तक ये नहीं पता है कि इस भूगर्भीय जल स्रोत का आकार कितना बड़ा है और इसमें कितना बर्फ़ीला पानी मौजूद है. और ये भी स्पष्ट नहीं है कि ये अचानक क्यों फट गया है। भूगर्भशास्त्रियों ने अपनी शुरुआती जांच में ये पाया है कि जोशीमठ की ज़मीन धसकने में जो एकाएक तेज़ी आई है, उसके लिए जनवरी के पहले हफ़्ते में भूगर्भीय जल स्रोत का फटना है। वहीं वैज्ञानिकों ने दशकों पहले इस तरह के संकट की चेतावनी भी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट का तत्काल सुनवाई से इंकार
उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात गंभीर होते जा रहे हैं। वहीं जोशीमठ में जमीन धंसने के मामले में इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की याचिका पर शीर्ष अदालत ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। हालांकि मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को विशेष उल्लेख’ के दौरान कहा था कि वह जोशीमठ से संबंधित स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा, लेकिन अब तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया गया है।