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नवरात्र कल से, घोड़े पर सवार होकर आ रही है मां दुर्गा

LP Live, Bijnor: सिविल लाइंस स्थित धार्मिक संस्थान विष्णुलोक के ज्योतिषविद् पंडित ललित शर्मा ने बताया, इस वर्ष मां दुर्गा का आगमन अश्व यानी घोड़े पर हो रहा है । इस वर्ष चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल 2024 को रात 11 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ हो रही है। यह 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। इस वजह से चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2024 से आरंभ होकर 17 अप्रैल तक रहेगी। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती हैं। घट स्थापना नवरात्रि के समय किए जाने वाले महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है।

यह 9 दिवसीय उत्सव के आरंभ का प्रतीक है। हमारे शास्त्रों में नवरात्रि के आरंभ में एक निश्चित अवधि में घट स्थापना करने हेतु भली भांति परिभाषित नियम एवं दिशा निर्देश वर्णित किए गए हैं घट स्थापना देवी शक्ति का आवाहन है । इस वर्ष घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 6 बजकर 2 मिनट से प्रातः 10 बजकर 16 मिनट तक रहेगा । घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11 बजकर 57 मिनट से अपराह्न 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा ।चैत्र नवरात्र के बाद सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। सूर्य 12 राशियों में भ्रमण पूरा करते हैं और फिर से अगला चक्र पूरा करने के लिए पहली राशि मेष में प्रवेश करते हैं। सूर्य और मंगल की राशि मेष दोनों ही अग्नि तत्व वाले हैं इसलिए इनके संयोग से गर्मी की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्र से नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष शुरु होता है। नवरात्रि के इन पावन दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ परम फलदायी, कल्याणकारी और शुभकारी है. दुर्गा सप्तशती एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें देवी दुर्गा की महिषासुर नामक राक्षस के ऊपर विजय का वर्णन किया गया है। उन्होंने बताया, दुर्गा कवच हमारे ऋषियों-मुनियों द्वारा मां दुर्गा के साधकों को प्रदान किया गया एक वरदान है। इसमें मानव शरीर के प्रत्येक अंग की रक्षा हेतु मां भगवती से प्रार्थना की गई है। इस कवच का प्रतिदिन पाठ करने से जीव कठिन-से-कठिन परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होता। मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें। मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।नौ दिनों तक घर में मां दुर्गा के नाम की ज्योत अवश्य जलाएं।

यह आवश्य करें।

-अधिक से अधिक नवार्ण मंत्र ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ का जाप अवश्य करें।

– इन दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें।

– पूजन में हमेशा लाल रंग के आसन का उपयोग करना उत्तम होता है। नवरात्रि में मां के नौ स्वरूपों के बीज मंत्र

– मा शैलपुत्री का बीज मंत्र: ऊँ शं शैलपुत्री देव्यैः नमः।

-मा ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र: ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः।

-मा चंद्रघंटा का बीज मंत्रः ऐं श्रीं शक्तयै नमः।

-मा कूष्मांडा का बीज मंत्रः ऐं ह्री देव्यै नमः।

-मा स्कंदमाता का बीज मंत्रः ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नमः ।

-मा कात्यायनी का बीज मंत्रः क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नमः।

-मा कालरात्रि का बीज मंत्रः क्लीं ऐं श्री कालिकायै नमः।

-मा महागौरी का बीज मंत्रः श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नमः।

-मा सिद्धिदात्री का बीज मंत्र: ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नमः।

-सर्व मंगल मंत्र – सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तुते ॥

मंत्र का अर्थः – हे नारायणी ! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो। कल्याण दायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थो को सिद्ध करने वाली, शरणागत वत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो। हे मां तुम्हें हमारा नमस्कार है।

मंत्र का लाभः – यह मंत्र इतना शक्तिशाली है कि अगर पूरे मन से और लगातार इसका जाप किया जाए तो आपको मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है। प्रतिदिन सुबह इसका पाठ करने से जीवन में शांति और सफलता मिलती है।

मंत्र का प्रभाव: – यह मंत्र इतना प्रभावशाली है कि इसे किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले माता की वंदना स्वरूप में इस मंत्र का पठन किया जाता है।

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