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सम्राट मिहिर भोज गुर्जर थे या राजपूत‍़? जांच पड़ताल करेंगे अफसर

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गठित की समिति

करनाल रेंज कमिश्नर की अध्यक्षता में समति इतिहास खंगालकर करेगी जांच
LP Live, Chandigarh: सम्राट मिहिर भोज को लेकर गुर्जर और राजपूत के बीच देश के विभिन्न राज्यों में विवाद के समाधान करने के लिए हरियाणा सरकार ने एक नई पहल की है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार ने राजपूत व गुर्जर समाज के बीच सामाजिक सौहार्द बरकरार बनाए रखने की दिशा में सम्राट मिहिर भोज के बारे में ऐतिहासिक तथ्यों की जांच के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया है।

हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने इस आशय का आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार करनाल के मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक साथ सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में करनाल रेंज के पुलिस महानिरीक्षक उपाध्यक्ष और कैथल के उपायुक्त इसके सदस्य सचिव होंगे। जबकि कैथल के पुलिस अधीक्षक, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के इतिहास के दो प्रोफेसर राजीव लोचन और प्रियतोष शर्मा तथा दोनों समुदायों के प्रतिनिधि के रूप में दोनों पक्षों के दो वकील गुर्जर और राजपूत इसके सदस्य होंगे। समिति चार सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

पूर्वज को लेकर चल रहा विवाद
गौरतलब है कि कि पिछले काफी दिनों से सम्राट मिहिर भोज को लेकर हरियाणा में ही नहीं, बल्कि यूपी व मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में गुर्जर और राजपूत समाज में इस बात को लेकर विवाद चला आ रहा है कि दोनों ही पक्ष सम्राट को अपना पूर्वज बताते है। इसलिए हरियाणा सरकार ने सम्राट मिहिर भोज किस समुदाय के पूर्वज है की जांच के लिए समिति बनाई गयी है। इस मसले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सराहनीय पहल की है। कुछ राजनीतिक दल इसे चुनाव में भुनाने की फ़िराक़ में थे, इस कमेटी के गठन से उनके राजनीतिक मंसूबों पर पानी फिरता दिख रहा है। इस मसले पर लम्बे समय से देशभर में दोनों जातियों में तकरार बढ़ती जा रही है। मनोहर लाल सरकार के इस फैसले से इस विवाद पर हमेशा के लिए विराम लग जाएगा।

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