मोदी सरकार पर अविश्वास प्रस्ताव का नहीं होगा कोई असर
LP Live, New Delhi: मणिपुर हिंसा पर संसद में पीएम मोदी के बयान की मांग करके हंगामा करते आ रहे विपक्षी दलों ने पिछले सप्ताह लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिसे स्वीकार करने के बाद मंगलवार को सदन में चर्चा शुरु हो गई है। हालांकि इस प्रस्ताव पर मोदी सरकार पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है, यह विपक्ष भी जानता है कि इस प्रस्ताव के बहाने विपक्ष का मकसद पीएम मोदी को मणिपुर मुद्दे पर बयान के लिए मजबूर करना रहा है।
लोकसभा में विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार को चर्चा की शुरुआत कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और भाजपा की और से निशिकांत दुबे ने की है। गौरव गोगोई ने कहा कि स्वीकार किया कि मणिपुर मुद्दे पर पीएम मोदी को बयान देने के लिए मजबूर करने के लिए हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विवश होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव सदन में संख्या बल के बारे में नहीं था, बल्कि मणिपुर के लिए न्याय के बारे में है जिसे उन्होंने पेश किया। गोगोई ने कहा कि हमारे पास उनके लिए तीन सवाल हैं, जिनका पीएम को जवाब देना होगा। इन सवालों में वे आज तक मणिपुर क्यों नहीं गए?, दूसरा सवाल है कि आख़िरकार मणिपुर पर बोलने में लगभग 80 दिन क्यों लग गए और जब वे बोले तो सिर्फ़ 30 सेकंड के लिए? इसके अलावा तीसरा सवाल ये भी है कि केंद्र ने अब तक मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त क्यों नहीं किया?
भाजपा का कांग्रेस पर तंज
दूसरी ओर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए कहा ये अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। ये क्यों लाया गया है? सोनिया जी (गांधी) यहां बैठी हैं। मुझे लगता है कि उन्हें दो काम करने होंगे, जिसमें पहला काम बेटे को सेट करना है और दामाद को भेंट है। यही इस प्रस्ताव का आधार है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘मोदी’ सरनेम टिप्पणी मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने का मुद्दा उठाया, जिसके बाद उनकी सदस्यता बहाल की गई। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया है, बल्कि स्थगन आदेश दिया है।
पीएम मोदी दस अगस्त को देंगे जवाब
लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ आईएनडीआईए द्वारा लाए गये अविश्वास प्रस्ताव पर हो रही चर्चा का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दस अगस्त को जवाब देंगे। इस मुद्दे पर निचले सदन में हो रही चर्चा में डीएमके, टीएमसी, वाईएसआर कांग्रेस, शिवसेना, जदयू, बीजद, बसपा, एलजेएसपी,एआईएडीएमके, अपना दल, आजसू, एमएनएफ, एसकेएम, एनडीपीपी,एनपीपी, एपीएफ, एनसीपी, सपा, सीपीएम, सीपीआई, आईयूएमएल, नेशनल कांफ्रेंस, जेडीएस, जेएमएम, अकाली दल, आप और निर्दलीय सांसद भी हिस्सा लेंगे।
राज्यसभा में भी होगी मणिपुर हिंसा पर चर्चा
उधर राज्यसभा में मंगलवार को सभापति व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सदन में बताया कि मणिपुर हिंसा पर चर्चा कराने के लिए उन्हें रूल 267 के अंतर्गत चर्चा के लिए 51 नोटिस प्राप्त हुए हैं। हालांकि इससे पहले ही वह नियम 176 के अंतर्गत चर्चा के लिए अपनी स्वीकृति दे चुके हैं। गृह मंत्री भी इस पर अपनी विकृति दे चुके हैं, सभी को बोलने के लिए पर्याप्त समय भी दिए जाने की बात की गई है। सत्ता पक्ष व आसन नियम 176 के तहत चर्चा के लिए राजी है, लेकिन विपक्ष नियम 276 के तहत राज्यसभा में मणिपुर पर चर्चा की मांग कर रहा है। इस नियम के अंतर्गत चर्चा के अंत में वोटिंग भी करवाई जा सकती है।