सत्र को लेकर सियासी कयास लगा रहे विपक्षी दलों को एजेंडे का इंतजार
LP Live, New Delhi: केंद्र सरकार ने जैसे ही 18 से 22 सितंबर तक संसद का पांच दिन के विशेष सत्र बुलाने का ऐलान किया गया, तभी से विपक्षी दलों में सियासी कयास लगाने शुरु कर दिये हैं, लेकिन हलकान विपक्षी दलों को इस सत्र के एजेंडे का इंतजार है, जिसके बाद प्रतिक्रिया सामन आएगी।
संसद के इस विशेष सत्र बुलाने को लेकर सरकार का यही मकसद है कि मानसून सत्र में हंगामे के कारण कुछ महत्वपूर्ण सरकारी काम काज पूरा नहीं हो पाया था, जिन पर इस विशेष सत्र में आम सहमति बनाकर उन्हें पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। विशेष सत्र को लेकर पीएम मोदी के अचानक फैसलों को लेकर भी राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं, जिन्हें संसद के इस विशेष सत्र में पेश करने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। लोकसभा चुनाव से पहले विशेष सत्र बुलाए जाने के मायने कई रुपों में देखे जा रहे हैं, जिसमें समान नागरिक संहिंता, जनसंख्या नियंत्रण और एक देश-एक संविधान की तर्ज पर एक देश एक चुनाव जैसे फैसलों संबन्धी विधेयकों को पारित कराने की संभावनाएं हैं। हालांकि एक देश एक चुनाव को लेकर शुक्रवार को ही विचार करने के लिए सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जिसे इस विशेष सत्र के ऐजेंडे में शामिल करना संभव नहीं लगता। सूत्रों के अनुसार इस विशेष सत्र की शुरुआत संसद के नए भवन होगी, जिसका उद्घाटन 25 जून को किया गया था।
क्या हो सकता है एजेंडा
सूत्रों के अनुसार भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर भले ही सियासी कयास लगने शुरु हो गये हैं, लेकिन जी-20 शिखर सम्मेलन, चन्द्रयान-3 चांद पर साफ्ट लैंडिंग और अमृतकाल के लिए भारत के लक्ष्यों को लेकर विस्तार से चर्चा कराई जा सकती है। सरकार के एजेंडे में यूसीसी, जनसंख्या नियंत्रण और लंबे समय से उठती महिला आरक्षण जैसे विधेयकों को भी पेश करने से इंकार नहीं किया जा सकता।