विपक्षी महागठबंधन में बिखराव के कारण कांग्रेस व सहयोगी दलों के सामने कड़ी चुनौती
LP Live, New Delhi: देश की राजनीति में बिहार ऐसा राज्य है, जहां परंपरागत वोटों पर सियासत करने वाले दलों का वर्चस्व रहा है। इस बार के चुनाव में राज्य की सभी 40 सीटों पर राजग और इंडिया गठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला है, जिसमें राजग गठबंधन की ताकत में इजाफा हुआ है। फिलहाल बिहार में 39 लोकसभा सीटें राजग गठबंधन के पास है। राजग अपनी नई रणनीति के साथ इस बार क्लीन स्वीप यानी सभी 40 सीटों पर परचम लहराने के लिए पूरी सियासी ताकत झोंक रहा है। यहां सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों में प्रमुख रुप से राजग और इंडिया गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होने के आसार हैं। लेकिन महागठबंधन में बिखराव के कारण बदले सियासी समीकरण की वजह से यह लोकसभा नए मोड़ पर खड़ा है। बहराल चुनावी नतीजों के बाद तय होगा कि यहां सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा।
दशकों से बिहार की सियासत में जातीय आधार पर वोट बैंक की राजनीति हावी रही है। ओबीसी और दलित वोट बैंक, जो पहले कांग्रेस को मिलता रहा है, उसमें पिछले एक दशक से तेजी से गठबंधन की राजनीति के कारण विभाजन होता देखा गया है। खासतौर से ओबीसी बाहुल्य राज्य बिहार में बदलते राजनीतिक समीकरणों ने राजनीतिक दलों की दशा और दिशा भी मुद्दों के आधार पर बदलकर रख दी है। ऐसे में सियासी दल चुनावी फायदे को लेकर अपनी रणनीति तैयार करते आ रहे हैं। ऐसी ही रणनीति के तहत पिछले चुनाव की तुलना में इस बार राजग के कुनबे में जदयू व लोजपा के साथ हम और आरएलएमपी भी शामिल हुआ है। शायद इस बार भाजपा व जदयू ने 50:50 के सीट बंटवारे फार्मूले को ताक पर भाजपा के लिए 17 सीट छोड़ी है, जबकि खुद 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। राजग गठबंधन में लोजपा पांच के अलावा हम और आरएलएमपी एक-एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। राजग के मुकाबले इंडिया गठबंधन में लालू यादव की राजद ने सबसे ज्यादा 26 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जबकि कांग्रेस को केवल नौ तथा वामदलों को पांच सीटे दी हैं। यह भी गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से कुछ माह पहले ही जदयू ने इंडिया गठबंधन का साथ छोड़कर फिर से राजग कुनबे में शामिल होकर बिहार के राजनीतिक समीकरण बदलने का प्रयास किया। मसलन इस बार के लोकसभा चुनाव में बिहार बिहार के सियासत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अहम भूमिका होगी, जदयू और केंद्र की राजग सरकार के विकास कार्यों के साथ नीतीश कुमार के विकास कार्य को लेकर ही जनता के बीच जाने की तैयारी में है।
राजग की ये है रणनीति
बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर पिछले 2019 के चुनाव में राजग गठबंधन को 39 सीटो पर जीत मिली थी, जिसमें भाजपा व जदयू ने सभी 17-16 एक लोजपा ने 6 सीटों पर परचम लहराया था, जिसमें भाजपा ने सबसे ज्यादा 23.58 फीसदी वोट के साथ अव्वल थी। उस चुनाव में बाकी एक सीट पर कांग्रेस काबिज हुई थी। राज्य में लंबे समय तक राज करने वाली लालू यादव की राजद को शायद पहली बार हाथ मलते देखा गया। मौजदा चुनाव में राजग ने बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। ऐसी ही चुनावी रणनीति के साथ राजग गठबंधन इसलिए इस बार चुनाव मैदान में है।
राजग गठबंधन में 17 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी
बिहार की 40 में से गठबंधन फार्मूले के मुताबिक बंटवारे में आई 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव मैदान में होगी, उनमें पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण,औरंगाबाद, मधुबनी, अररिया, दरभंगा, मुज़फ्फरपुर, महाराजगंज, सारण, उजियारपुर, बेगूसराय, नवादा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर और सासाराम सीटों पर चुनावी जंग में होगी। जबकि जदयू के खाते में आई 16 सीटों में वाल्मिकी नगर, सीतामढ़ी, झंझारपुर, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, गोपालगंज, सीवान, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नालंदा, जहानाबाद, शिवहर सीटों पर चुनावी जंग में होगी। इसके अलावा लोक जनशक्ति पार्टी (आर) को वैशाली, हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, जमुई सीट मिली है, तो हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को गया सीट और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी काराकाट सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी। दरअसल भाजपा इस बार नवादा एक अतिरिक्त अतिरिक्त सीट मिली है, जहां लोजपा की सीट पर भाजपा का कब्जा है।
नए युवा मतदाता होंगे निर्णायक
बिहार में इस बार लोकसभा चुनाव में 7.64 करोड़ मतदाताओं का चक्रव्यूह तैयार है, जिसमें चार करोड़ से ज्यादा पुरुष, 3.64 करोड़ महिला हैं। बिहार में 2,290 थर्ड जेंडर और 6. 30 लाख दिव्यांग मतदाता भी हैं। जबकि राज्य में 14.50 लाख बुजुर्ग मतदाता है, जिनमें 21,680 मतदाता 100 या उससे ज्यादा आयु के हैं। निर्वाचन आयोग के ताजा आंकड़ो के मुताबिक राज्य में 1.68 लाख सर्विस मतदाता पंजीकृत हैं। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। लोकसभा चुनाव 2024 में 9.26 लाख ऐसे युवा मतदाता हैं, जो पहली बार मतदान में हिस्सा लेंगे।
जातिगत समीकरण की सियासत
बिहार की नीतीश सरकार के जारी राज्य में जाति आधारित जनगणना के आंकड़ो के मुताबिक बिहार में ओबीसी, दलित और आदिवासी समुदाय 84.48 फीसदी हैं, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग 63.13 फीसदी, अनुसूचित जाति 19.65 फीसदी, एससी-एसटी का प्रतिशत 21.39 में अनुसूचित जनजाति 1.68 फीसदी है। जबकि सवर्ण समाज की आबादी महज 15.52 फीसदी हैं। ओबीसी में सबसे ज्यादा आबादी यादव की है, जिसके बाद रविदास, कोइरी, ब्राह्मण और राजपूत समुदाय के लोग हैं। यदि धार्मिक आधार पर देखा जाए तो हिंदू आबादी 81.99 फीसदी है, तो मुस्लिम आबादी 17.70 फीसदी है। जबकि ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन समाज मिलकर भी आधा फीसदी भी नहीं है।
किसी चरण में कहां होगा चुनाव
चरण 1: 19 अप्रैल- औरंगाबाद, गया, नवादा,जमुई
चरण 2: 26 अप्रैल- किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया,भागलपुर,बांका
चरण 3: 07 मई- झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, खगरिया
चरण 4: 13 मई- दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर
चरण 5: 20 मई- उत्सव प्रस्ताव सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण, हाजीपुर
चरण 6: 25 मई- वाल्मिकीनगर,पश्चिम चंपारण,पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सिवान, महाराजगंज
चरण 7: 01 जून- नालन्दा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकाट, जहानाबाद