यूपी: सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनेंगे कृषि विज्ञान केंद्र
लैब टू लैंड नारे के साथ केंद्रों को स्वावलंबी बनाने की योजना
LP Live, Lucknow: यूपी की योगी सरकार खेतीबाड़ी और इससे जुड़े सेक्टर्स की तरक्की की एक बुनियादी शर्त की दिशा में कई वर्षों पूर्व ‘लैब टू लैंड’ का नारे को आगे बढ़ाने में जुटी है, ताकि प्रदेश के 89 कृषि विज्ञान केंद्रों में होने वाले शोध कार्य यथा शीघ्र किसानों तक पहुंच सके। इस मुहिम में खेती बाड़ी से जुड़े एक्सटेंशन कर्मियों की महत्त्व पूर्ण भूमिका होती है।
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के हितों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाते हुए एक्सटेंशन कार्यक्रमों के विस्तार के जरिए ‘लैब टू लैंड’ का नारे का साकार कर रही है। इसके तहत किसान कल्याण केंद्र, रबी और खरीफ के सीजन में न्याय पंचायत स्तर पर द मिलियन फार्मर्स कार्यक्रम, प्रदेश से लेकर मंडल और जिला स्तर पर आयोजित कृषि उत्पादक गोष्ठियां इसका प्रमाण हैं। इस पूरे कार्यक्रम को गति देने में सर्वाधिक अहम भूमिका हर जिले में बने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके )की भूमिका सबसे अहम होती है। यही वजह है कि योगी सरकार ने आते ही यह लक्ष्य रखा कि हर जिले में एक और जरूरत के अनुसार बड़े जिलों में दो कृषि विज्ञान केंद्र होने चाहिए। सात साल पहले तो कई जिलों में ये केंद्र थे ही नहीं।
18 केंद्र विज्ञान केंद्रों का चयन
सरकार ने प्रदेश के 89 कृषि विज्ञान केंद्रों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने में जुटी है। इनमें से अगले चरण में में दिसंबर 2023 में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए 18 कृषि विज्ञान केंद्रों का चयन किया गया। इस बाबत 26 करोड़ 36 लाख की परियोजना स्वीकृत करने के साथ 3 करोड़ 57 लाख 88 हजार रुपये की पहली किश्त भी की जारी की गई। चयन में इस बात का ध्यान रखा गया है कि अलग कृषि विश्विद्यालयों से संबद्ध ये केंद्र प्रदेश के हर क्षेत्र से हों। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चुने जाने के साथ संबंधित केंद्रों की बुनियादी सुविधाएं बेहतर करने के साथ वहां की परंपरा और कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार उनको किस सेक्टर पर अधिक फोकस करना है,इस बाबत भी निर्देश दिए हैं। प्रदेश के मऊ, बलरामपुर, गोरखपुर सोनभद्र, चन्दौली, बांदा, हमीरपुर, बिजनौर, सहारनपुर, बागपत , मेरठ, रामपुर, बदायूँ ,अलीगढ़, इटावा, फतेहपुर और मैनपुरी जिलों के केंद्रों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने हेतु पहली किस्त की राशि भी जारी कर दी गई है।
हॉर्टिकल्चर पर फोकस
कृषि जलवायु के मद्देनजर वहां हॉर्टिकल्चर पर फोकस करते हुए गोरखपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के हॉर्टिकल्चर विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर एस पी सिंह के मुताबिक तराई का क्षेत्र होने के नाते यहां बागवानी की अधिक संभावना है। आम, अमरूद और लीची पर अधिक फोकस है। केंद्र में आम की करीब 12 प्रजातियों के पौधों की नर्सरी तैयार की जा रही है। किसानों को अरुणिमा और अंबिका जैसी प्रजातियों की खूबियों से अवगत कराया जा रहा है। ये प्रजातियां रंगीन होने के कारण आकर्षक हैं।
रोजगार परक योजना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा केवीके को क्रमशः आत्म निर्भर और रोजगार परक बनाने की है। इसी तरह क्षेत्र की कृषि जलवायु के मद्देनजर अमरूद की सात प्रजातियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। केंद्र की नर्सरी में करीब दो दर्जन दुर्लभ पौधे भी हैं। लिहाजा प्रिजर्वेशन यूनिट में फलों के अंचार ,जैम, जेली,पाउडर बनाने की सुविधा है। इस बाबत सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाता है। बागों के रखरखाव के लिए माली प्रशिक्षण भी इसीकी एक कड़ी है।