

किसानों के लिए फैसले से सरकार बढ़ेगा 2,07,000 करोड़ का बोझ
LP Live, New Delhi: केंद्र सरकार ने 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 फीसदी बढ़ोतरी करके किसानों के लिए बड़ा फैसले का ऐलान किया है। एमएसपी में इतनी भारी बढ़ोतरी पिछले 11 साल बाद की गई है। वहीं सरकार ने किसानों के लिए ब्याज सहायता योजना को जारी रखने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगाई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने इस संबंध में निर्णय लिया। हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिये गये फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि किसानों के लिए पिछले 10-11 वर्षों में खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में 50 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है। सरकार के प्रस्ताव में खरीफ विपणन सीजन 2025-26 के लिए एमएसपी को कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई है। इस फैसले से सरकार पर करीब 2,07,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार ने 2025-26 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके। पिछले वर्ष की तुलना में एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि नाइजरसीड के लिए की गई है, इसके बाद रागी, कपास और तिल का स्थान आता है।2025-26 के लिए खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने की बात कही गई है।
किस फसल के एमएसपी में कितनी वृद्धि
केंद्र सरकार ने बुधवार को 2025-26 खरीफ विपणन सत्र के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3 प्रतिशत बढ़ाकर 2,369 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। आगामी फसल वर्ष 2025-26 (जुलाई-जून) के खरीफ सत्र के लिए सामान्य और ए ग्रेड धान की किस्मों का समर्थन मूल्य 69 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर क्रमश: 2,369 रुपये और 2,389 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। दालों में अरहर का समर्थन मूल्य 450 रुपये बढ़ाकर 8,000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि उड़द का एमएसपी 400 रुपये बढ़ाकर 7,800 रुपये प्रति क्विंटल और मूंग का एमएसपी 86 रुपये बढ़ाकर 8768 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
ब्याज सहायता योजना जारी रहेगी
मोदी सरकार ने बुधवार को संशोधित ब्याज सहायता योजना (एमआईएसएस) को 2025-26 के लिए जारी रखने को मंजूरी दे दी, जिसके तहत किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से सस्ती दर पर अल्पकालिक ऋण मिलता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि मौजूदा 1.5 प्रतिशत ब्याज सहायता के साथ वित्त वर्ष 2025-26 के लिए एमआईएसएस को जारी रखने का निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया। इस योजना को जारी रखने से सरकारी खजाने पर 15,640 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

क्या है एमआईएसएस
एमआईएसएस एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका उद्देश्य केसीसी के माध्यम से किसानों को सस्ती ब्याज दर पर अल्पकालिक ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। एमआईएसएस के तहत किसानों को केसीसी के माध्यम से 7 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक का अल्पकालिक ऋण मिलता है, जिसमें पात्र ऋण देने वाली संस्थाओं को 1.5 प्रतिशत ब्याज सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, समय पर ऋण चुकाने वाले किसान शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (पीआरआई) के रूप में 3 प्रतिशत तक के प्रोत्साहन के पात्र होते हैं, जिससे केसीसी ऋण पर उनकी ब्याज दर प्रभावी रूप से 4 प्रतिशत तक कम हो जाती है। केवल पशुपालन या मत्स्य पालन के लिए लिए गए ऋणों के लिए ब्याज लाभ 2 लाख रुपये तक लागू है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि योजना की संरचना या अन्य घटकों में कोई बदलाव प्रस्तावित नहीं किया गया है। देश में 7.75 करोड़ से अधिक केसीसी खाते हैं।
फोर-लेन हाईवे को मंजूरी
कैबिनेट की बैठक में यह हाईवे बडवेल-गोपरावम गांव (NH-67) से लेकर गुरुविंदापुडी (NH-16) तक बनेगा। इसकी कुल लंबाई: 108.134 किलोमीटर होगी। इस फोर लेन बनाने की कुल अनुमानित लागत: 3653.10 करोड़ रुपये आंकी गई है। बडवेल-नेल्लोर कॉरिडोर आंध्र प्रदेश के तीन प्रमुख औद्योगिक कॉरिडोरों से कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा। यह कॉरिडोर कृष्णपट्टनम पोर्ट तक की यात्रा दूरी को 142 किमी से घटाकर 108.13 किमी कर देगा। परियोजना के माध्यम से लगभग 20 लाख मानव-दिनों का प्रत्यक्ष रोजगार और 23 लाख मानव-दिनों का अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होगा।
रेलवे में दो मल्टीट्रैकिंग परियोजनाएं मंजूर
कैबिनेट ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में दो मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी, उनमें रतलाम-नागदा तीसरी और चौथी लाइन तथा वर्धा-बल्लारशा चौथी लाइन भी शामिल है। इन परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत 3,399 करोड़ है। इन रेल लाइनों का कार्य 2029-30 तक पूर्ण किया जाएगा। भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 176 किमी की वृद्धि होगी। लगभग 784 गांवों में 19.74 लाख की जनसंख्या को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। निर्माण के दौरान लगभग 74 लाख मानव-दिनों का प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। इससे यात्रा में सुविधा, लॉजिस्टिक लागत में कमी, तेल आयात में गिरावट और कार्बन उत्सर्जन में कमी में सहायता मिलेगी।
