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पीएम मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया नया संसद भवन

वैदिक मंत्रोच्चार से शुरू हुआ उद्घाटन, सेंगोल के आगे दंडवत हुए पीएम मोदी

भारतीय लोकतंत्र के प्रतीक नए संसद में भारतीय संस्कृति की झलक
LP Live, New Delhi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकतंत्र का प्रतीक नया संसद भवन देश को समर्पित कर दिया है। नए संसद भवन का उद्घाटन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया गया। नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह पूरे विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ, जिसमें हुए हवन-पूजा का कार्यक्रम में तमिलनाडु से आए अधीनम संत के मंत्रोच्चार के साथ पूरा किया। इस मौके पर नए भवन में संगोल स्थापित किया गया, जिसके सामने पीएम मोदी ने दंडवत होकर देश की संस्कृति का प्रमाण दिया।

दरअसल नए संसद भवन का प्रस्ताव तत्कालीन कांग्रेस की केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव ने किया था, लेकिन मोदी सरकार से पहले की सरकारों ने इस प्रस्ताव पर अमल नहीं किया। पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने तीन दशक पहले देखे गये नए संसद भवन के सपने को पूरा करते हुए इसे आज रविवार 28 मई 2023 को राष्ट्र को समर्पित कर दिया है। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के दौरान भारतीय संस्कृति और अध्यात्म साफतौर से देखने को मिला, जहां साधु-संतों और अधिनम महंतों की उपस्थिति में देश में लोकतंत्र के प्रतीक संसद भवन के गवाह बने, जहां संसद परिसर में सर्वधर्म सभा का आयोजन किया गया। इस सर्वधर्म सभा में बौद्ध, जैन, पारसी, सिख समेत कई धर्मों के धर्मगुरु ने अपनी-अपनी प्रार्थनाएं कीं। भारतीय कला और संस्कृति को ध्यान में रखकर बनाए गये संसद भवन के नए भवन में अमृत काल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में ‘सेंगोल’ को भी स्थापित किया गया, जिसके तमिलनाडु के संतो ने पीएम को सौंपा है। पीएम ने उसे साष्टांग दण्डवत किया। संसद भवन के उद्घाटन समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के अलावा केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री जितेंद्र सिंह, कई राज्यों के मुख्यमंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उपस्थित रहे थे। पीएम मोदी ने नए भवन में लोकसभा और राज्यसभा कक्ष के परिसर का भी निरीक्षण किया। इस मौके पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का संदेश भी पढ़ा गया।

सिक्का हुआ जारी
आजादी के 75वें साल को अमृतकाल के रुप में मनाया जा रहा है और सरकार की ऐतिहासिक घटना को चिह्नित करने के लिए आज 75 रुपये का खास सिक्का जारी किया जाएगा। सिक्के पर नए संसद भवन का चित्र होगा। संसद की तस्वीर के ठीक नीचे वर्ष 2023 भी लिखा होगा। इस पर हिन्दी में संसद संकुल और अंग्रेजी में पार्लियामेंट काम्पलेक्स लिखा होगा। सिक्के पर हिन्दी में भारत और अंग्रेजी में इंडिया भी लिखा जाएगा। इस पर अशोक चिन्ह भी अंकित होगा। पीएम मोदी ने उद्घाटन से पहले नए संसद भवन का निर्माण करने वाले श्रमिकों को शॉल पहनाकर सम्मानित किया और इस दौरान उन्हें स्मृति चिन्ह भी सौंपे।

बेमिसाल विहंगम दृश्य
पीएम मोदी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। इस बिल्डिंग को आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने डिजाइन किया था और तय समय सीमा के भीतर यह बनकर तैयार हो गया है और तय समय के अनुसार राष्ट्र को नया संसद भवन मिल गया है। 64 हजार 500 वर्ग मीटर में बना नए संसद में 3 दरवाजे हैं, इन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। जहां एक ओर लोकतंत्र का प्रतीक हाईटेक सुविधाओं से लैस है, तो वहीं इसमें देश के अलग-अलग हिस्सों मंगाई गई मूर्तियां और आर्ट वर्क बनाए गए हैं। देश में पूजे जाने वाले जानवरों की झलकियों को भी इसमें शामिल किया गया है। संसद की दीवारों में गरुड़, गज, अश्व और मगर की झलकियां हैं। वहीं नए संसद भवन की डिजाइन मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित विजय मंदिर से मिलती है। नए भवन को खास तरीके से बनाया गया है, इसमें इस्तेमाल की गई लकड़ियों को विभिन्न राज्यों से मंगाया गया है। सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मंगाई गई थी, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया था। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के कालीनों को मंगाया गया था। त्रिपुरा के बांस के फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी के साथ, नया संसद भवन भारत की विविध संस्कृति को दर्शाता है।

देशवासियों को मिलेगी प्रेरणा:पीएम मोदी
नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ‘यह नया भवन नूतन और पुरातन के सह-अस्तित्व का भी आदर्श है। साथियों नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते हैं। आज नया भारत, नए लक्ष्य तय कर रहा है। नए रास्ते गढ़ रहा है। नया जोश है, नई उमंग है। नया सफर है, नई सोच है। दिशा नई है, संकल्प नया है। और आज फिर एक बार पूरा विश्व भारत को भारत के संकल्प की दृढ़ता को, भारतवासियों की प्रखरता को, भारत की जनशक्ति की जीजीविषा को आदर और उम्मीद के भाव से देख रहा है। जब भारत आगे बढ़ता है, तो विश्व आगे बढ़ता है। संसद का नया भवन भारत के विकास से विश्व के विकास का भी आह्वान करेगा। उन्होंने कहा कि हमें नेशन फर्स्ट की भावना से बढ़ना होगा। हमें कर्तव्य पथ को सर्वोपरि रखना होगा। हमें अपने व्यवहार से उदाहरण पेश करना पड़ेगा। हमें निरंतर खुद में सुधार करते रहना होगा। हमें अपने नए रास्ते खुद बनाने होंगे। हमें खुद को खपाना होगा, तपाना होगा। हमें लोककल्याणको ही अपना जीवन मंत्र बनाना होगा। जब संसद के इस नए भवन में अपने दायित्वों का इमानदारी से निर्वहण करेंगे तब देशवासियों को भी इसकी प्रेरणा मिलेगी। एक ऐसा समय भी आया, जब हम दूसरे देशों को देखकर मुग्ध होने लगे। लेकिन 21वीं सदी का भारत अब गुलामी की उस सोच को पीछे छोड़ रहा है। आज भारत प्राचीन काल की उस कला के गौरवशाली गाथा को, अपनी ओर मोड़ रहा है और संसद की यह नई इमारत इस जीवंत प्रयास का प्रतीक बनी है। आज नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है। इस भवन में विरासत भी है, वास्तु भी है। इसमें कला भी है, कौशल भी है। इसमें संस्कृति भी है और संविधान के स्वर भी हैं।

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