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नौ साल का पूरा हुआ तेलंगाना, दसवें साल में बढ़ा रहा है कदम

पिछले नौ साल में गढ़े नए आयाम, आज मना रहा दसवीं स्थापना दिवस का जश्न

प्रधानमंत्री मोदी ने सरकार को दी स्थापना दिवस की बधाई
LP Live, Lucknow: तेलंगाना की अलग राज्य के रुप में पहचान दो जून 2014 को बनी थी। मसलन शुक्रवार दो जून को तेलंगना सरकार राज्य के स्थाना दिवस मना रही है। स्थापना दिवस के कार्यक्रम 21 दिन तक चलेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी तेलंगना के स्थापना दिवस की बधाई दी है। पिछले नौ साल में आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद तेलंगाना सरकार ने राज्य के जनता के हितों के अलावा हर क्षेत्र में विकास के नए आयाम गढ़े हैं।

तेलंगाना के इतिहास में दो जून की तारीख हमेशा के लिए यादगार बन चुकी है, जो दो जून 2014 को आंध्र प्रदेश से अलग होकर देश के 29वें राज्य के रुप में तेलंगाना राज्य के रुप में गठित हुआ था। वैसे देखा जाए तो मद्रास से अलग हुए आंध्र प्रदेश और फिर आंध्र प्रदेश के अलग हुए तेलंगाना राज्य की अलग पहचान बनने की दिलचस्प पृष्ठभूमि है। तेलंगाना के अलग राज्य बनाने के लिए तेलंगाना राष्ट्र समिति(अब भारत राष्ट्र समिति) के प्रमुख रहे कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव और और उनके समर्थकों का लंबे समय तक आंदोलन चला, जिसमें 17 फरवरी, 1954 को जन्मे के. चंद्रशेखर राव का त्याग और सकारात्मक विचाराधारा के चलते यह संघर्ष रंग लाया और तेलंगान राज्य की अलग से स्थापना हुई। आज शुक्रवार दो जून को तेलंगाना सरकार और राज्य अपनी स्थापना की नौंवी सालगिरह बना रही है।

नौ साल में बदली सूरत
राज्य के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव के कार्यकाल में पिछले नौ साल में तेलंगाना की सूरत बदली है। इसके लिए कृषि क्षेत्र, बिजली, पानी और बुनियादी ढांचे के विकास के जरिए राज्य के विकास को नया आयाम दिया है। यही कारण है कि आंध्र से अलग तेलंगाना राज्य के लिए संघर्ष में केसीआर ने बड़ी भूमिका को लोग आज भी याद करते हैं और केसीआर की दीवानगी उनके समर्थकों में सिर चढ़कर बोलती है। लोकसभा सांसद रही केसीआर की बेटी के. कविता और बेटे भी तेलंगाना की राजनीति में पिता के साथ कंधा से कंधा मिलाकर राज्य के विकास के लिए अब राष्ट्रीय राजनीति में कदम आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।

हैदराबाद खूबसूरती का बना सबब
अलग होने के बाद तेलंगाना की राजधनी हैदराबाद की सूरत एक दम लगातार बदलती जा रही है। हुसैन सागर के तट पर नया सचिवालय, संविधान निर्माता डा. बीआर अंबेडकर की सचिवालय के बगल में 125 फुट की प्रतिमा चार चांद लगा रही है। शहर की बुनियादी ढांचे को मजबूती मिली, तो वहीं देखते देखते मेट्रो ट्रेन, परिवहन व्यवस्था दुरस्त होने के साथ जनता की मूलभूत सुविधाओं को मजबूती दी गई है।

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