
चुनावी प्रक्रिया में कड़े परिश्रम करने का मिला ईनाम
LP Live, New Delhi: भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनावों से पहले बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएओ) के वेतन को दोगुना कर दिया है। वहीं यह संशोधन एक दशक बाद किया गया है, जिसमें आयोग ने पहली बार ईआरओ और एईआरओ को भी मानदेय देने का निर्णय लिया है।
चुनाव आयोग ने शुद्ध मतदाता सूचियों को लोकतंत्र की आधारशिला बताते हुए माना कि मतदाता सूची मशीनरी में शामिल निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ), सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (एईआरओ), पर्यवेक्षक और बूथ लेवल अधिकारी(बीएलओ) कड़ी मेहनत करते हैं और निष्पक्ष एवं पारदर्शी मतदाता सूचियां तैयार करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसलिए आयोग ने बीएलओ के वार्षिक पारिश्रमिक को दो गुना करने और मतदाता सूचियों की तैयारी एवं पुनरीक्षण में शामिल बीएलओ यानी पर्यवेक्षकों के पारिश्रमिक में भी वृद्धि करने का निर्णय लिया है। पिछला ऐसा संशोधन वर्ष 2015 में किया गया था। जबकि ईआरओ और एआरओ के लिए पहली बार मानदेय प्रदान किया गया है।

अब कितना मिलेगा मानदेय
चुनाव आयोग के इस निर्णय के बाद अब बीएलओ के मानदेय को 6 हजार रुपये बढ़ाकर 12 हजार रुपये किया गया है। इसके अलावा बीएलओ पर्यवेक्षकों के मानदेय में 12 हजार से बढ़ाकर 18 हजार रुपये का मानदेय किया गया है। ईआरओ और एआरओ के लिए भी पहली बार पारिश्रमिक के रुप में क्रमश: तीस हजार और 25 हजार रुपये का मानदेय लागू किया गया है। इससे पहले बीएलओ के लिए यह वृद्धि 2015 में की गई थी।
बिहार चुनाव की तैयारी में लगे कर्मचारियों को ईनाम
चुनाव आयोग ने इस बात की भी जानकारी दी है कि बिहार से शुरू होने वाले विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए बीएलओ हेतु 6000 रुपए के विशेष प्रोत्साहन को मंजूरी दी थी। आयोग का कहना है कि मतदाता सूची मशीनरी जिसमें निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारी, सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारी, बीएलओ पर्यवेक्षक और बूथ लेवल अधिकारी शामिल है, जो कड़ी मेहनत करते हैं। यह सभी निष्पक्ष और पारदर्शी मतदाता सचिया तैयार करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसलिए आयोग ने इन सभी के वार्षिक पारिश्रमिक को दोगुना करने का निर्णय लिया है।
