

देश में स्वैच्छित रुप से आधार से जुड़ चुकें हैं 66 हजार मतदाता पहचान पत्र
LP Live, New Delhi: भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची को दुरुस्त रखने की दिशा में एक नई पहल शुरु करने का फैसला किया है। आयोग ने मतदाता पहचान पत्र को भी आधार कार्ड से लिंक करने की तैयारी शुरु की है। इसके लिए आयोग ने मंगलवार 18 मार्च को यूआइडीएआई और केंद्र सरकार के उच्च अधिकारियों की बैठक आयोजित की है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने विपक्षर दलों के लगातार मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों से निपटने के लिए इस प्रकार का फैसला लिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने संकेत दिया है कि मंगलवार को यूआइडीएआई और केंद्र सरकार के उच्च अधिकारियों की बैठक के दौरान इस पहल की प्रक्रिया शुरु करने पर सहमति बन जाएगी। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में ज्ञानेश कुमार दोनों चुनाव आयुक्तों के अलावा केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, विधायी सचिव राजीव मणि और यूआइडीएआई के सीईओ भुवनेश कुमार प्रमुख रुप से मौजूद रहेंगे। ज्ञानेश कुमार ने मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद ज्ञानेश कुमार ने तीन महीने के भीतर मतदाता सूची में गड़बड़ी को पूरी तरह से दूर करने का आश्वासन दिया था। इसी दिशा में यह बैठक बुलाई जा रही है। गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव तक ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद मतदाता सूची में गड़बड़ी में बड़ा मुद्दा बना लिया है।

विपक्ष ने लगाए थे आरोप
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच महाराष्ट्र में 39 लाख नए मतदाता जोड़ने को महाअघाड़ी गठबंधन की हार का कारण बताया था। वहीं दिल्ली में अपनी हार के लिए आम आदमी पार्टी भी मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगा रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने मतदाता सूची में डुप्लीकेट ईपीक नंबर का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने की साजिश करार दिया। मतदाता सूची में गड़बड़ी के विपक्ष के बढ़ते हमलों के बीच चुनाव आयोग को इसे मतदाता सूची से जोड़ना ही सटिक उपाय नजर आ रहा है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी अड़चन कानूनी है।
आधार से लिंक हैं 66 करोड़ मतदाता पहचान पत्र
चुनाव आयोग ने हालांकि साल 2015 में मतदाता सूची को आधार डाटाबेस के साथ जोड़ने का काम शुरू किया था और तीन महीने में ही 30 करोड़ मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ दिया गया था, लेकिन आधार की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका को देखते सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। इसके बाद साल 2018 में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आधार की वैधानिकता पर मुहर लगा दी। लेकिन इसके स्वैच्छिक इस्तेमाल की ही अनुमति दी। इस रास्ते की दूसरी कानूनी अड़चनों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने 2022 में जनप्रतिनिधित्व कानून और चुनाव कानून में संशोधन कर इसका रास्ता साफ किया। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया। आयोग के इस फैसले से पहले ही स्वैच्छिक रुप से 66 करोड़ मतदाता पहचान पत्र आधार से जोड़े जा चुके हैं। ने का काम चल रहा है और लगभग 66 करोड़ मतदाताओं का पहचान पत्र आधार से जोड़ा जा चुका है।
