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आखिर पाक ने भारत को वापस सौंपा बीएसएफ जवान पीके शॉ

बीएसएफ की छह फ्लैग मिंटिंग के बावजूद जवान को छोड़ने को तैयार नहीं था पाकिस्तान
LP Live, New Delhi: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमले के अगले ही दिन गलती से बॉर्डर पार करने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान पूर्णम कुमार शॉ को पाकिस्तान की कैद से भारत ने सकुशल वापस करा लिया है। मसलन पाकिस्तान ने बुधवार को पंजाब में अटारी-वाघा सीमा के रास्ते बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ को भारत को सौंप दिया है।

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बीएसएफ के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पाकिस्तान की कैद से रिहा कराने की यह कार्रवाई शांतिपूर्ण तरीके से और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार की गई है। भारत के साथ संघर्ष में मुंह की खाने के बाद आखिर पाकिस्तान को बीएसएफ जवान को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। घटना क अनुसार 182वीं बीएसएफ बटालियन के कॉन्स्टेबल पूर्णम कुमार शॉ पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) को गलती से पार कर गया था। जहां उसे पाकिस्तानी रेंजर्स ने पकड़ लिया था। उस दौरान शॉ भारत-पाकिस्तान सीमा के पास खेत के पास ड्यूटी पर थे। नियमित गतिविधि के दौरान वे अनजाने में भारतीय सीमा की बाड़ को पार कर पाकिस्तानी क्षेत्र में चले गए थे, जहां उन्हें पाकिस्तान रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया था। भारतीय जवान पूर्णम मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रिशरा के रहने वाले हैं। कुछ दिन पहले सैनिक की पत्नी रजनी ने पति की रिहाई को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। रजनी ने चंडीगढ़ पहुंचकर बीएसएफ अधिकारियों से मुलाकात भी की थी

पाक जवान को छोड़ने को नहीं था तैयार
सूत्रों के अनुसार 504 घंटे में पाकिस्तान की कैद से रिहा हुए बीएसएफ जवान के लिए भारतीय सुरक्षा बल बीएसएफ ने पाकिस्तान के साथ छह फ्लैग मीटिंग की और और 84 बार सीमा पर सीटी बजाई, लेकिन पाकिस्तान उसे छोड़ने को तैयार नहीं हुआ। सात मई को जब पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने पाक और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की और फिर तीन दिन के संघर्ष में भारत ने पाकिस्तान में तबाही मचाई तो पाकिस्तान के तेवर नरम पड़ने लगे। जबकि गलती से सीमा पार करने के मामले को दोनों पक्ष फ्लैग मिटिंग में ही निपटा लिया जाता है। । सीजफायर के लिए दोनों देशों के डीजीएमओ की वार्ता में भी यह मामला उठाया और पाकिस्तान पर दबाव बना, तो उसे बीएसएफ जवान की रिहाई करनी पड़ी।

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