

भारत की दो टूक: आतंकवाद का समर्थन बंद करने तक फैसला कायम
LP Live, New Delhi: पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था और फिर भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भारत पर हमले की कोशिश भारत ने करारा जवाब देकर पाकिस्तान के कई एयरबेस और आतंकवादी ठिकानों को तबाह कर दिया। दोनों देशों के बीच अपनी शर्त पर सीजफायर लागू करने वाले भारत ने पहले ही चेतावनी दी है कि भारत जब तक सिंधु जल संधि स्थगित रखेगा, जब तक पाकिस्तान पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह बंद नहीं कर देता।
आपरेशन सिंदूर के सामने बैकपुट आए पाकिस्तान ने अब भारत से सिंधु जल संधि को लेकर भारत से गुहार लगाई है। पाकिस्तान जल संसाधन मंत्रालय ने भारत के जलशक्ति मंत्रालय को पत्र लिखकर सिंधु जल संधि पर फिर से विचार करने की मांग की है। पाकिस्तान ने पत्र में भीषण जल संकट का हवाला दिया है। गौरतलब है कि भारत ने स्पष्ट किया है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ घोषित कूटनीतिक और आर्थिक प्रतिबंध अब भी प्रभावी हैं। इनमें सिंधु जल संधि का निलंबन भी शामिल है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत तब तक सिंधु जल संधि को लागू नहीं करेगा, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह बंद नहीं कर देता। भारत पहले ही कह चुका है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकता।

जल संकट की चिंता में पाक
पाकिस्तान का कहना है कि अगर भारत तीन नदियों के जल पर अपने अधिकार का पूर्ण उपयोग करने लगा, तो पाकिस्तान के कई राज्योंा में गंभीर जल संकट पैदा हो जाएगा। इस खतरे को भांपते हुए पाकिस्तान ने भारत से तुरंत बात करने की अपील की है, लेकिन भारत इस बार नरमी के मूड में नहीं दिखता।पीएम मोदी ने एक दिन पहले ही कहा था कि पाकिस्तान को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी।
भारत की क्या है योजना
सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार पाकिस्तान की गुहार से प्रभावित नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हालिया राष्ट्र के नाम संबोधन में साफ किया कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते। यह बयान पाकिस्तान के लिए भारत के कड़े संदेश की तरह देखा जा रहा है। अब भारत रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के जल पर अपना अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने की योजना बना रहा है, जिससे पाकिस्तान की चिंताएं और गहराती जा रही हैं। भारत ने इस योजना पर तुरंत काम भी शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है।
