LP Live, New Delhi: संसद के बजट सत्र के दौरान हंगामे का कारण बने अडाणी–हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक छह सदस्य विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो इस मामले की जांच करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी-हिंडनबर्ग मामले को लेकर उठ रहे विवाद में गुरुवार को अदानी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में एक छह सदस्यीय समिति का गठन किया। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने अधिवक्ता विशाल तिवारी, एम.एल. शर्मा, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और अनामिका जायसवाल की याचिका पर यह आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट की इस समिति में ओ.पी. भट, न्यायमूर्ति जे.पी. देवधर (सेवानिवृत्त), के.वी. कामत, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन को भी शामिल किया गया है। इस मामले में गत 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच के लिए गठित की जाने वाली समिति में शामिल करने के लिए केंद्र द्वारा सुझाए गए विशेषज्ञों के सीलबंद नामों को स्वीकार नहीं करेगा, इसके परिणामस्वरूप अदानी समूह की कंपनी के शेयर की कीमतें गिर गईं और निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। पीठ ने कहा था कि अदालत निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए पूरी पारदर्शिता चाहती है और वह एक समिति का गठन करेगी, ताकि अदालत में विश्वास की भावना पैदा हो।
समिति का ये होगा कार्यक्षेत्र
यह समिति स्थिति का समग्र मूल्यांकन प्रदान करेगी और सुरक्षा बाजारों में अस्थिरता के कारण कारकों का नेतृत्व करेगी। समिति निवेशकों की जागरूकता को मजबूत करने के उपायों का सुझाव देगी और यह भी जांच करेगी कि अदानी समूह या अन्य कंपनियों के संबंध में प्रतिभूति बाजार से संबंधित कानूनों के कथित उल्लंघन में नियामक विफलता तो नहीं हुई है। समिति के कार्यक्षेत्र के पहलू पर केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि एक समग्र दृष्टिकोण होना चाहिए और सुरक्षा बाजार में कोई अनपेक्षित प्रभाव नहीं पड़ता है। पीठ ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि निवेशकों को काफी नुकसान हुआ है। मेहता ने कहा कि जहां तक आपका आधिपत्य का सुझाव है कि एक पूर्व न्यायाधीश को समिति की अध्यक्षता करनी चाहिए, हमें कोई आपत्ति नहीं है। एक लिखित जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अदानी समूह के खिलाफ एक अमेरिकी शॉर्ट सेलर द्वारा लगाए गए आरोपों की सच्चाई की जांच की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी दिये निर्देश
1. सेबी के चेयरपर्सन को एक्सपर्ट कमेटी को सभी जरूरी जानकारी देनी होगी।
2. केंद्र सरकार से जुड़े एजेंसियों को कमेटी के साथ सहयोग करना होगा।
3. कमेटी अपने काम के लिए बाहरी विशेषज्ञों से परामर्श ले सकती है।
4. कमेटी मेंबर्स का पेमेंट चेयरपर्सन तय करेंगे और केंद्र सरकार वहन करेगी।
5. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक सीनियर ऑफिसर को नॉमिनेट करेंगी।
6. ये कमेटी को लॉजिस्टिकल असिस्टेंस देने के लिए नोडल ऑफिसर के रूप में काम करेंगे।
7. कमेटी के सभी खर्चों को केंद्र सरकार ही वहन करेगी।