LP Live, New Delhi: केंद्र सरकार की ग्रामीण भारत के विकास और क्षमता को बढ़ाने की दिशा में आयोजित ग्रामीण भारत महोत्सव-2025 का गुरुवार को समापन हो गया है। इस छह दिवसीय महोत्सव का आयोजन राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) द्वारा आयोजित किया गया।
यहां प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में चार जनवरी को सशक्त ग्रामीण भारत का उत्सव के रुप में शुरु हुए ग्रामीण भारत महोत्सव-2025 का उद्घाटन केन्द्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण तथा वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी श्रीमती की मौजूदगी में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस छह दिवसीय महोत्सव में सशक्त ग्रामीण भारत की परिकल्पना के लिए देश भर के हितधारकों को एक मंच पर लाने का उद्देश्य रहा, जहां 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य के अनुरूप ग्रामीण परिवर्तन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया। जबकि समापन समारोह में ग्रामीण भारत के लिए वित्तपोषण के अवसरों की तलाश पर बल दिया गया। इस दौरान हुई पैनल चर्चा में नवीन वित्तीय साधनों, निजी पूंजी के लिए निवेश को जोखिम मुक्त करने तथा लघु उद्यमों के लिए स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया। विशेषज्ञों ने देश के आर्थिक परिवर्तन को समर्थन देने के लिए ग्रामीण उद्यम वित्तपोषण में संस्थागत नवाचार को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की।
ग्रामीण सांस्कृतिक समृद्धि का माध्यम बना महोत्सव: सीतारमण
केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने समापन समारोह में कहा कि ग्रामीण भारत महोत्सव 2025 हमारे देश के आर्थिक विकास और वैश्विक मंच पर पर उद्यमशीलता की भावना, नवाचार और गांवों में मौजूद सांस्कृतिक समृद्धि का माध्यम है, जिससे जीआई-टैग किए गए उत्पादों, प्राकृतिक खेती और महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों जैसी पहलों की महत्वपूर्ण भूमिका और भी स्पष्ट हो जाती है, जो सतत विकास को बढ़ावा दे रही हैं। गांवों में एक जीवंत अर्थव्यवस्था 2047 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की इस यात्रा की रीढ़, लचीले एमएसएमई, सशक्त किसान और दूरदर्शी सहकारी समितियों के साथ आत्मनिर्भर, समावेशी भारत का निर्माण कर रही है। उन्होंने इसके लिए नाबार्ड अध्यक्ष शाजी केवी तथा डीएफएस के अधिकारियों के सहयोग की भी सराहना की। ग्रामीण भारत महोत्सव के सफल समापन पर वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव एम. नागराजू ने कहा कि इस महोत्सव ने हमारे देश की आर्थिक प्रगति के चालक के रूप में ग्रामीण भारत की विशाल क्षमता को प्रकाश में लाया है। 53 करोड़ से अधिक जन धन खाते, जो मुख्य रूप से महिलाओं और ग्रामीण समुदायों के पास हैं, तथा 14.4 मिलियन स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहे हैं।
आदिवासी शिल्प के उत्पादों की प्रदर्शनी
इस महोत्सव की जीवंत प्रदर्शनी में विभिन्न ग्रामीण उत्पादों का प्रदर्शन किया गया, जिसमें जीआई-प्रमाणित सामान, जैविक उत्पाद और आदिवासी शिल्प शामिल थे, जिसमें भारत भर से 180 से अधिक कारीगरों ने ग्रामीण हथकरघा, हस्तशिल्प और ताजे उत्पादों की समृद्ध विविधता प्रस्तुत की। इसमें भारतीय रिजर्व बैंक और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं के सहयोग से स्थापित स्टॉल भी शामिल थे। इस आयोजन का मुख्य आकर्षण ‘दिल्ली के हृदयस्थल स्थित गांव’ का अनुभव था, जिसने महत्वपूर्ण रुचि उत्पन्न की तथा पर्याप्त बिक्री दर्ज की।
ग्रामीण भारत को सशक्त करने पर रहा जोर
ग्रामीण भारत महोत्सव के हर दिन भारत के आर्थिक परिवर्तन में ग्रामीण विकास की भूमिका को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ, जिसमें पहले दिन ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देने में जीआई-टैग उत्पादों की क्षमता पर प्रकाश डाला गया, जिसमें प्रोफेसर डॉ. अभिजीत दास और डॉ. रजनी कांत ने वैश्विक बाजार के अवसरों और कारीगर सोहित कुमार प्रजापति ने अपने स्वयं सहायता समूह की सफलता की कहानी साझा की। दूसरे दिन ‘गोबर-धन’ योजना और विकसित भारत के लिए सहकारी समितियों को सशक्त बनाने जैसी पहलों के माध्यम से अवसरों का दोहन करने के लिए जैविक कृषि के विस्तार पर चर्चा हुई तथा ग्रामीण बैंकिंग को मजबूत करने के लिए 67,000 से अधिक सहकारी समितियों को डिजिटल बनाने में नाबार्ड के प्रयासों पर प्रकाश डाला गया।
महिलाओं को सशक्त बनाने पर फोकस
महोत्सव के तीसरे दिन ग्रामीण महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें ‘लखपति दीदी’ जैसी पहलों और वित्तीय संसाधनों और डिजिटल उपकरणों तक बेहतर पहुंच की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। चौथे दिन जनजातीय चुनौतियों पर चर्चा की गई, जिसमें जनजातीय खजाने: विरासत का संरक्षण और अर्थव्यवस्था को गति देना, शिल्प के आधुनिकीकरण, बाजार संबंधों और जनजातीय विकास के लिए सामाजिक स्टॉक एक्सचेंजों का लाभ उठाने पर जोर दिया गया। पांचवें दिन पूर्वोत्तर भारत की आर्थिक क्षमता का जश्न मनाया गया, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के चंचल कुमार ने बुनियादी ढांचे के विकास, जैविक खेती और इको-पर्यटन पर चर्चा की। वहीं डॉ. ललित शर्मा ने क्षेत्र के अद्वितीय उत्पादों की पहुंच बढ़ाने के लिए ब्रांडिंग और डिजिटल मार्केटिंग की आवश्यकता पर बल दिया।