अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा रहेगा बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, इलाहबाद हाई कोर्ट का आदेश बदला


इलाहबाद हाई कोर्ट के आदेश थाा कि एमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है
LP Live, New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोई के उस आदेश को बदल दिया, जिसमें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान मानने से इंकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ ने शुक्रवार को 4:3 के बहुमत से फैसला सुनाया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे की हकदार है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा। सीजेआई चंद्रचूड के अलावाजस्टिस संजीव खन्ना, जेडी पारदीवाला और मनोज मिश्रा ने एक मत से यह फैसला लिया है। जबकि जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और सतीश चंद्र शर्मा ने असहमति वाला फैसला सुनाया। गौरतलब है कि साल 1968 के एस. अजीज बाशा बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एएमयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय माना था, लेकिन साल 1981 में एएमयू अधिनियम 1920 में संशोधन लाकर संस्थान का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल किया गया था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2006 के उस एक फैसले के संबंध में सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाई कोर्ट के आदेश में कहा गया था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने इस मामले को सात जजों की पीठ को सौंप दिया था। सात जजों की संविधान पीठ ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने के संबंध में दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई की और बाद में फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने इस मामले की आठ दिनों तक सुनवाई की थी।
