साल 2029 में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी
LP Live, New Delhi: मोदी की केंद्रीय कैबिनेट ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समति की रिपोर्ट आने के बाद इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद संसद के अगले सत्र में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ से संबन्धित विधेयक पेश किया जा सकता है।
पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इस मंजूरी के बाद अब देश की 543 लोकसभा सीट और सभी राज्यों की कुल 4130 विधानसभा सीटों पर एक साथ चुनाव कराने की राह खुल गई।अब चर्चा है कि केंद्र सरकार इससे जुड़ा बिल जल्द ला सकती है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने 14 मार्च को 18 हजार 626 पन्नों अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट में सुझाव दिए गए हैं कि देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने चाहिए। इसके अलावा समिति ने सिफारिश की है कि निकाय चुनाव को भी लोकसभा और राज्य विधानसभा के संपन्न होने के बाद जल्द ही कराया जाए। समिति की रिपोर्ट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल के दौरान पहले ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ नीति को लागू करने की तैयारी कर रही है। इसी तैयारी के तहत बुधवार को पीएम कोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। अब चर्चा है कि केंद्र सरकार इससे जुड़ा बिल जल्द ला सकती है।
ये है ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ कमेटी
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर 2 सितंबर 2023 में एक कमेटी बनाई थी। यह रिपोर्ट स्टेकहोल्डर्स-एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 191 दिन की रिसर्च का नतीजा है। कमेटी ने सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक करने का सुझाव दिया है।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित आठ सदस्य समिति में अर्जुन राम मेघवाल आमंत्रित सदस्य के रुप में शामिल हैं। जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, पूर्व राज्यसभा एलओपी गुलाम नबी आजाद, वित्त कमीशन के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और पूर्व सीवीसी संजय कोठारी को समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था।
समिति की प्रमुख सिफारिश
चुनाव आयोग लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आई कार्ड तैयार करेगा। कोविंद पैनल ने एकसाथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की है। क्या बिल को कानून बनाने में कोई अड़चन आएगी। कोविंद कमेटी ने 18 संवैधानिक बदलावों का सुझाव दिया है, इनमें से ज्यादातर में राज्यों की विधानसभाओं के सहमति की जरूरत नहीं है। कुछ संवैधानिक बदलावों के लिए बिलों को संसद में पास कराना जरूरी होगा। सिंगल इलेक्टोरल रोल और सिंगल वोटर आईडी कार्ड के लिए आधे से ज्यादा राज्यों की मंजूरी जरूरी होगी। इसके अलावा लॉ कमीशन गठबंधन सरकार और हंग असेंबली जैसी स्थिति आने पर नियम की मांग करे। इसमें सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल उससे अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाने का सुझाव दिया गया है।
कुछ राज्यों का कार्यकाल बढ़ेगा, तो कुछ का घटेगा
वन नेशन-वन इलेक्शन की संभावना के बीच एक देश-एक चुनाव लागू करने के लिए कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटेगा। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के आखिर में हुए हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से ही लागू होगा। वहीं इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे।
पहला चरणः 6 राज्य, वोटिंगः नवंबर 2025
बिहार का मौजूदा कार्यकाल पूरा होगा। बाद का साढ़े तीन साल ही रहेगा। वहीं असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी मौजूदा कार्यकाल 3 साल 7 महीने घटेगा। उसके बाद का कार्यकाल भी साढ़े 3 साल होगा।
दूसरा चरणः 11 राज्य, वोटिंगः दिसंबर 2026
उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंडः मौजूदा कार्यकाल 3 से 5 महीने घटेगा। उसके बाद सवा दो साल रहेगा। गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुराः मौजूदा कार्यकाल 13 से 17 माह घटेगा। बाद का सवा दो साल रहेगा। इन दो चरणों के बाद देश की सभी विधानसभाओं का कार्यकाल जून 2029 में समाप्त होगा। सूत्रों के अनुसार, कोविंद कमेटी विधि आयोग से एक और प्रस्ताव मांगेगी, जिसमें स्थानीय निकायों के चुनावों को भी शामिल करने पर भी चर्चा की जाएगी।
लालकिला से पीएम किया था जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का जिक्र किया था। पीएम मोदी ने कहा था कि वन नेशन वन इलेक्शन के लिए देश को आगे आना होगा। बार-बार आने वाले चुनाव इस देश की प्रगति में रुकावट उत्पन्न करते हैं। आज किसी भी योजना को चुनाव के साथ जोड़ना आसान हो गया है, क्योंकि हर तीन या छह महीने बाद चुनाव होते हैं। हर काम को चुनाव के रंग से रंग दिया गया है।