LP Live, New Delhi: देश के 31 जिलों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों यानी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई वर्ग के लोगों को नागरिकता दी जा सकती है।
यह बात लोकसभा में एक सवाल के लिखत जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय बताते हुए कहा कि देश के नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 16 के तहत केंद्र सरकार ने 31 जिलों के जिला कलेक्टरों को नागरिकता अधिनियम की धारा 5 के तहत पंजीकरण के आधार और धारा 6 के तहत प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता प्रदान करने की अपनी शक्ति दी हुई है। मसलन इन जिलों के जिलाधिकारी अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों के दायरे में आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने के लिए कार्रवाई कर सकते हैं। सरकार ने बताया कि इन सभी को भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण की अनुमति दी जा सकती है या उन्हें देश के नागरिक का प्रमाण पत्र दिया जा सकता है।
इन जिलों में नागरिकता का प्रावधान
सदन में यह भी जानकारी दी गई कि देश के इन 31 जिलों में छत्तीसगढ़ के रायपुर, दुर्ग और बलौदाबाजार, गुजरात के अहमदाबाद, गांधीनगर, कच्छ, मोरबी, राजकोट, पाटन, वडोदरा, आनंद और मेहसाना, मध्य प्रदेश के भोपाल और इंदौर, महाराष्ट्र में नागपुर, मुम्बई, पुणे और ठाणे, राजस्थान के जोधपुर, जैसलमेर, जयपुर, जालौर, उदयपुर, पाली, सिरोही और बाड़मेर, उत्तर प्रदेश के लखनऊ, केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के पश्चिमी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली, हरियाणा के फरीदाबाद और पंजाब के जालंधर जिले शामिल हैं।
सीएए में बनेंगे नियम
दरअसल विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के बजाय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत ये नागरिकता दी जा रही है। उल्लेखनीय ह कि 2019 में पारित सीएए में भी तीनों देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। हालांकि सीएए अभी तक लागू नहीं किया गया है, क्योंकि इसके तहत नियम बनाए जाने बाकी हैं। इसलिए इसके तहत किसी को अभी नागरिकता नहीं दी जा सकती।