उत्तर प्रदेश: लोकसभा चुनाव का गणित बनाने में जुटे तमाम दल
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पहले दो चरणों में भाजपा गठबंधन की होगी अग्नि परीक्षा


सात चरणों में होगा राज्य की 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव
LP Live, Lucknow: देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव पर सभी की नजरें टिकीं हैं। प्रदेश में इस बार भाजपा की चुनावी रणनीति में खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल को साधने के लिए रालोद व सुभासपा जैसे छोटे दलों से गठजोड शामिल है। दरअसल यूपी में अलग अलग क्षेत्रों में अलग चुनावी समीकरण की संभावना को लेकर राजग और महागठबंधन ने जनाधार के आधार पर प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में उतारे हैं। पहले दो चरणों के पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 16 सीटों पर होने वाले चुनाव पर सत्तारूढ दल भाजपा की अग्नि परीक्षा पर विपक्षी गठबंधन की भी नजरें टिकी हुई हैं। हालांकि इसका फैसला तो चार जून को चुनावी नतीजों के बाद ही होगा, कि यूपी की सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा?
कहा जाता है कि केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है, जो देश का सबसे बड़ा राज्य होने के साथ ही सर्वाधिक 75 जिलों 80 सांसद इसी सर्वाधिक जनसंख्या के मतदाता चुनकर लोकसभा में भेजते हैं। यही अकेले यूपी से पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के अलावा विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर, इंदिरागांधी और चौधरी चरण से लेकर नरेन्द्र मोदी तक कई प्रधानमंत्री भी बने हैं। प्रदेश की राजनीति के समीकरण पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वांचल, बुंदेलखंड और अवध जैसे क्षेत्रों के हिसाब से आंककर राजनीतिक दल चुनावी जंग में उतरते हैं। मसलन राजनीतिक भाषा में कहा जाए तो केंद्र की सत्ता का रास्ता यूपी से ही होकर जाता है। इसलिए जाहिर सी बात है कि खासकर लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों की निगाहें उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव पर रहती है। आजादी से अब तक अलग अलग क्षेत्रों में अपने अलग ही तरह के मुद्दों पर सियासी समीकरण बदलते रहे हैं। फिलहाल की राजनीति में यूपी के पूर्वी इलाके की वाराणसी सीट से पिछले दो लोकसभा चुनाव में चुनाव जीतकर पीएम नरेन्द्र मोदी के कारण भाजपा की पैठ मजबूत हुई है, तो दूसरी सीएम योगी का गढ़ रहे गोरखपुर भी पूर्वांचल भी भाजपा मजबूत मानकर चल रही है। पहले दो चरणों में पश्चमी उत्तर प्रदेश की आठ-आठ सीटों पर जाट लैंड या गन्ना बैल्ट के रुप में पहचाने जा रहे पश्चमी उत्तर प्रदेश की आठ-आठ सीटों यानी 16 सीटों पर पहले व दूसरे चरण में 19 और 26 अप्रैल को मतदान होना है। यह क्षेत्र हमेशा किसान आंदोलन को लेकर राजनीतिक नक्शे पर देखा जा रहा है। इसलिए पिछले चुनाव से सबक लेते हुए भाजपा ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल, तो पूर्वांचल में सुभासपा को सहयोगी बनाकर चुनाव लड़न का फैसला किया है।

देश के सबसे ज्यादा मतदाता
लोकसभा चुनाव 2024 में प्रदेश की 80 सीटों पर 15.29 करोड़ मतदाओं को जाल फैला हुआ है, जिसमें 8.14 करोड़ पुरुष, 7.15 करोड़ महिला मतदाता शामिल हैं। प्रदेश में 7,705 ट्रांसजेंडर, 10.50 लाख दिव्यांग और 2.97 लाख सर्विस मतदाता वोटिंग करेंगे। जबकि प्रदेश में बुजुर्ग मतदाताओं की संख्या 24.30 लाख है, जिनमें से 31,774 मतदाता सौ वर्ष की उम्र से ज्यादा के हैं। प्रदेश में इस बार जहां 18-19 वर्ष की आयु के 20.41 लाख युवा पहली बार मतदान करेंगे। वहीं मतदाता सूची में 20 से 29 वर्ष के करीब 30 लाख युवा मतदाताओं के नाम भी शामिल किये गये हैं। देशभर में हो रहे लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश अकेला ऐसा राज्य है, जहां सबसे ज्यादा 1.62 लाख मतदान केंद्र बनाएं गये हैं, जिनमें 38,959 मतदान केंद्र शहरी क्षेत्रों तथा 1.23 लाख मतदान केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गये हैं। दिव्यांगजनों व बुजुर्ग मतदाताओं के लिए घर से मतदान कराने की व्यवस्था की गई है।
पहले व दूसरे चरण में दांव पर प्रतिष्ठा
पश्चमी उत्तर प्रदेश की 16 सीटों पर पहले दो चरणों ds लोकसभा चुनाव में भाजपा ही नहीं, बल्कि विपक्षी गठबंधन के दलों की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। पहले चरण में 19 अप्रैल को 7693 मतदान केंद्रों पर आठ सीटों-सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, पीलीभीत, रामपुर को चुनाव होगा। जहां सात महिलाओं समेत 80 प्रत्याशियों के सामने 1.43 करोड़ मतदाताओं के चक्रव्यूह को भेदने की चुनौती होगी, इसमें 76.23 लाख पुरुष, 67.14 लाख महिला तथा 824 थर्डजेंडर मतदाता शामिल है। जबकि दूसरे चरण में 26 अप्रैल को आठ सीटों- अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा के लिए चुनाव होगा। इस चरण में 7797 मतदान केंद्रों पर 1.67 करोड़ मतदाता मतदान में हिस्सा लेंगे, जिनमें 90.11 लाख पुरुष, 77.38 महिलाएं और 787 थर्डजेंडर शामिल हैं।
जातीय समीकरण अहम
उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातीय आधारित सियासत पर बड़ा जोर रहा है, जहां ओबीसी किसी भी चुनाव अहम किरदार निभाती आ रही है। हालांकि अलग अलग चुनाव और सीटों पर जातीय समीकरण अलग होता आया है। पिछले दिनो केंद्र की एक समिति की रिपोर्ट मे यूपी में पिछड़ी जातियों की आबादी 7.56 करोड़ आंकी गई है यानी राज्य की कुल आबादी का 50 फिसदी से भी ज्यादा हिस्सा है, जिसमें सर्वाधिक 19.4 प्रतिशत यादव आबादी है। कुर्मी व पटेल की 7.4 प्रतिशत हिस्सेदारी दूसरे पायदान पर हैं। जबकि ओबीसी की कुल संख्या में निषाद, मल्लाह और केवट 4.3 प्रतिशत, भर और राजभर 2.4 प्रतिशत, लोध 4.8 प्रतिशत और जाट 3.6 प्रतिशत हैं।
यूपी में कब कहां होगा मतदान
पहला चरण(19 अप्रैल)-सहारनपुर, कैराना, मुज्जफनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, पीलीभीत, रामपुर।
दूसरा चरण(26 अप्रैल)- अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा।
तीसरा चरण-(07 मई )- संभल, हाथरस, आगरा, फतेहपुर सिकरी, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, ओनला, बरेली।
चौथा चरण(13 मई)- शाहजहांपुर, फेरी, दौरा, सीतापुर, हरदोई, मिसरिख, उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा, कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर, बहराइच।
पांचवां चरण(20 मई)- मोहनलालगंज, लखनऊ, राय बरेली, अमेठी, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, बाराबंकी, फैजाबाद, कैसरगंज, गोंडा।
छठा चरण(25 मई)- सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, प्रयागराज, अंबेडकरनगर, श्ववस्ती, डुमरियांगंज, बस्ती, संत कबीरनगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछली शहर, भदोही।
सातवां चरण(01 जून)-महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, वंशगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मीरजापुर, रॉर्बट्सगंज।
