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शरद पूर्णिमा चंद्रमा की अमृतवर्षा और आरोग्य का पर्व

LP Live, Desk: आज पूरे देश में शरद पूर्णिमा का पर्व श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत विशेष माना जाता है। कहा जाता है कि आज की रात वर्ष की सबसे उजली रात होती है, जब चांद अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होकर धरती पर अमृत बरसाता है।
पंडित विनय शर्मा बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान है। मान्यता है कि जो भक्त आज के दिन मां लक्ष्मी की आराधना करता है, उसके घर में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस रात चांदनी में रखे खीर या दूध में अमृत तत्व समाहित हो जाते हैं। यही कारण है कि लोग आज रात को खीर बनाकर खुले आकाश में रखते हैं और आधी रात बाद प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार भी शरद पूर्णिमा की चांदनी का स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस दिन की चांदनी में नमी और औषधीय गुण अधिक होते हैं, जो शरीर को शीतलता प्रदान करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
मंदिरों में हुई पूजा, चांद को दिया जल
कई बड़े और छोटे शहरों के मंदिरों में आज सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी रही। कई जगहों पर लक्ष्मी पूजन, भजन-संध्या और खीर प्रसाद वितरण के आयोजन हुए। वहीं, कई श्रद्धालु अपने घरों की छतों पर परिवार संग चांदनी स्नान का आनंद लेते दिखे। शहर की विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं ने भी इस अवसर पर भजन-संध्या, दीपदान और खीर प्रसाद वितरण के कार्यक्रम किए।
लेडीज़ क्लब और कई महिलाओं के समूहों ने अपने-अपने मोहल्लों में सामूहिक पूजा और भक्ति संगीत का आयोजन किया, जिसमें महिलाओं ने पारंपरिक परिधानों में भाग लिया।

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