

LP Live, New Delhi: केंद्र सरकार ने देशभर की जेलों में बंद उन कैदियों की मदद करने की योजना तैयार की है। अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने और गरीब कैदियों के समर्थन के लिए मार्गदर्शक ‘सप्तर्षि’ के तहत गरीब कैदियों को निशुल्क कानून सहायता देने और उनको वित्तीय सहायता सरकार की प्राथमिकताओं में है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की समस्याओं के समाधान के लिए समय समय पर विभिन्न कदम उठा रहा है। इनमें सीआरपीसी एक्ट में धारा 436ए को शामिल करना और एक नया अध्याय XXIए ‘प्ली बार्गेनिंग’ जोड़ना आदि शामिल हैं। देश में विभिन्न स्तरों पर विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से गरीब कैदियों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अलावा मार्गदर्शक ‘सप्तर्षि’, अंतिम व्यक्ति तक पहुँचना और ‘गरीब कैदियों को समर्थन’ करना सरकार के बजट की प्राथमिकताओं में शामिल है। वहीं गृह मंत्रालय जेलों में सुरक्षा ढांचे को बेहतर और आधुनिक बनाने के लिए राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रहा है। कारागार आपराधिक न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और कानून के प्रभाव को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गृह मंत्रालय समय-समय पर विभिन्न एडवाइजरी के माध्यम से राज्य सरकारों के साथ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों को साझा करता रहता है। गृह मंत्रालय जेलों में सुरक्षा ढांचे को बेहतर और आधुनिक बनाने के लिए राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रहा है।

जेलो से बाहर आने में मदद
केंद्र सरकार की इस योजना की व्यापक रूपरेखा को संबंधित हितधारकों के परामर्श से अंतिम रूप दिया गया है, जिसके तहत केंद्र सरकार उन गरीब कैदियों को राहत देने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, जो आर्थिक तंगी के कारण जुर्माना नहीं चुका पाने की वजह से जमानत या जेल से रिहा होने में असमर्थ हैं। सरकार उन्हें जेलो से बाहर आने के लिए वित्तीय सहायता भी करेगी। इस प्रक्रिया को और मजबूत करने के लिए और गरीब कैदियों तक लाभ की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान अमल में लाए जाएंगे। ई-प्रिज़न प्लेटफार्म को सशक्त बनाया जाएगा और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को मजबूत किया जाएगा और जरूरतमंद गरीब कैदियों आदि को गुणवत्तापूर्ण कानूनी सहायता की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों को सेन्सिटाइज़ और उनका क्षमता निर्माण किया जाएगा।
