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भारत के नए युग का प्रकाश स्तंभ ‘नया संसद भवन’

LP Live, Editorial: देश की अत्याधुनिक नई संसद का उद्घाटन रविवार 28 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करने जा रहे हैं। राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर बनाया गया नया संसद भवन भारतीयों के लिए गौरव का प्रतीक ही नहीं, बल्कि अगली शताब्दी के भारत को ध्यान में रखकर तैयार किये गये 4 मंजिला इस संसद भवन की छत पर ‘अशोक स्तंभ’ और मुख्य द्वार के ऊपर गेट पर ‘सत्यमेव जयते’ भारत के गौरव की ऐसी गाथा रचता है, जो भावी भारत और युवा पीढ़ी के लिए प्रकाश स्तंभ के रूप में नया आयाम स्थापित करेगा।

भारत के एक विकसित देश के रुप में बढ़ते कदमों को ध्यान में रखते हुए इस नए संसद भवन की भीतर की साज सज्जा भी भावी भारत के विहंगम और बेहतरीन दृश्य पेश करती है। नए संसद भवन में भारत के उज्जवल भविष्य और भावी राजनीतिक परिदृश्य के मद्देनजर ही लोकसभा कक्ष में 888 सीटे, राज्यसभा कक्ष में 384 सीटें स्थापित की गई है। जबकि दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के लिए इस नए भवन में 1272 की व्यवस्था की गई। यही नहीं संसद में स्थापित किया गया आजादी के प्रतीक चिन्ह संगोल भी संसद भवन के इतिहास को स्मरण कराएगा। नए संसद भवन में हर सांसद के लिए सीट पर स्क्रीन लगाई गई है।

पुरानी संसद भवन के ठीक बगल में बनाई गई नई संसद में लोकसभा स्पीकर की सीट के ऊपर अशोक चक्र लगा हुआ है और संसद की परंपरा के अनुरुप स्पीकर के दायीं तरफ सत्ता पक्ष के लिए होता है, वहीं बायीं तरफ वाला हिस्सा विपक्ष का होता है। वहीं लोकसभा में पुरानी संसद की तरह ही सभी सीटें कालीन का रंग हरा ही है। लोकसभा की तरह ही राज्यसभा को भी बढ़ाया गया है, जिसके विहंगम दृश्य को देखा जाए तो उच्च सदन में भी सभापति के आसन के ऊपर अशोक चक्र लगा हुआ है। राज्यसभा में सीटो व कालीन के लिए लाल रंग में ही होंगी। राज्यसभा में दो बड़े स्क्रीन लगे हुए हैं, जबकि स्पीकर के ठीक सामने राज्यसभा के अधिकारियों के बैठने की जगह है। इस नई संसद में विहंगम दृश्य में बाहर से ज्यादा अंदर ज्यादा नक्कासी की गई है। संसद का नया भवन अद्यतन तकनीक से लैस सतत ऊर्जा के इंतजाम से परिपूर्ण है। यह अत्याधुनिक तरीके से बना है। इसमें सर्वोत्तम उपलब्ध गैजेट लगे हैं। ई-लाइब्रेरी तक पहुंच आसान की गई है। महत्वपूर्ण रिपोर्ट, कागजात और दस्तावेज, माननीय सदस्यों को उनकी सीट पर आसानी से सुलभ हो सकें, ऐसी व्यवस्था की गई है। नए संसद भवन में लेटेस्ट ऑडियो-विजुअल कम्युनिकेशन सिस्टम हैं। संसद में सभी शेड्यूल्ड भाषाओं में सदस्य अपनी बात रख सकते हैं। सदस्यों के इन भाषणों की हिन्दी एवं अंग्रेजी में त्वरित भाषांतरण की अति आधुनिक सुविधाएं हैं। यह सांसदों की दक्षता बढ़ाने व कामकाज की सहूलियत बढ़ाने के लिए तमाम आधुनिक सुविधाओं और संसाधनों से युक्त नया और स्मार्ट संसद भवन है।

नई संसद नहीं, नया संसद भवन है: हरिवंश
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने अपने एक आलेख में नए संसद भवन को देश को नई दिशा का प्रेरक बताते हुए कहा कि लगभग एक सदी पहले निर्मित संसद भवन परिसर में नया संसद भवन देश को लोकार्पित किया जा रहा है। यह नई संसद नहीं, बल्कि नया संसद भवन है यानी मौजूदा संसद का ही विस्तारीकरण में एक इमारत के रूप में दोनों एक ही संसद परिसर का हिस्सा हैं। और दोनों का सह अस्तित्व होगा। एक में बीता हुआ कल दिखेगा, दूसरे में आनेवाला कल। मौजूदा गोलाकार संसद भवन, 1927 में बना। इसमें काफी फेरबदल या बदलाव हुए हैं। आजादी के बाद 1956 में, इसी इमारत में और मंजिलों को जोड़ा गया। 1975 में संसद एनेक्सी का निर्माण हुआ। 2002 में फिर अपग्रेडेशन हुआ। पार्लियामेंट लाइब्रेरी बिल्डिंग बनी, जिसमें कमिटी रूम के अलावा सम्मेलन कक्ष और एक सभागार भी बने। पुनः 2016 में संसद एनेक्सी का और विस्तार हुआ। एक अलग विंग का निर्माण हुआ।

पुराने संसद भवन की सीमाएं
हरिवंश ने लिखा है इस तरह संसद परिसर में मुख्य संरचना ही पुरानी है। शेष विस्तार, समय और जरूरत के अनुसार होता रहा है। पर समय के अनुरूप प्रभावी प्रशासनिक कामकाज की संस्कृति बनाने और इफीशंसी बढ़ाने के लिए तकनीकी आधुनिकीकरण समय की मांग थी और पुराने संसद भवन की अपनी सीमाएं थीं। पुराना संसद भवन स्थापत्य कला की दृष्टि से अद्वितीय है। यह आगंतुक को आकर्षित करता है। हालांकि भवन के अंदर का दृश्य इससे अलग हैं। बिजली के तारों का जाल है। आधुनिक तकनीकी जरूरतों के अनुसार कंप्यूटर एयर कंडिशनर, सुरक्षा गैजेट्स आदि के केबल्स बिछाने के लिए जगह-जगह कीलें ठोंकी गईं या छेद करने पड़े। दोनों सदनों में जब सारे सदस्य मौजूद होते हैं, तो सदस्यों को अपनी सीट तक जाने में कठिनाई महसूस होती है। वहीं 2012 में राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी, क्योंकि एसी पाइप से दुर्गंध आने लगी थी। राज्यसभा, लोकसभा और सेंट्रल हॉल के डोम की भीतरी छत पर टाइल्स और प्लास्टर को गिरने से रोकने के लिए सुरक्षा जाल लगाने पड़े हैं। उन्होंने कहा कि समय तेजी से बदल रहा है। पिछले तीन दशकों में ही दुनिया, टेक्नॉलजिकल रिवॉल्यूशन और इंफॉर्मेशन रिवॉल्यूशन से होते हुए अब आर्टिफिशल इजेंलिजेंस के दौर में है। सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक नीतियों को बनाने और लागू करने में इन सबकी भूमिका है। समय के साथ खुद को अपडेट करना होगा। इसके लिए देश को तैयार करने के लिए एक सशक्त, गतिशील और आधुनिक विधायी व्यवस्था और विधायिका की जरूरत होगी। इसी जरुरत को यह नया संसद भवन पूरा करके देश को आगे ले जाने का काम करेगा।

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