मुजफ्फरनगर में किडनी और न्यूरो के मरीजों का इलाज करेंगे मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर्स
LP Live, Muzaffarnagar: उत्तर भारत और दिल्ली-एनसीआर के लीडिंग अस्पतालों में शुमार मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटपड़गंज, नई दिल्ली ने मुजफ्फरनगर में अपनी नेफ्रोलॉजी और न्यूरो सर्जरी की ओपीडी सेवा शुरू की है। ये ओपीडी स्थानीय अस्पताल इवान हॉस्पिटल के साथ मिलकर शुरू की गई है। जहां किडनी और न्यूरो से जुड़े मरीज दिखा सकेंगे।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटपड़गंज में नेफ्रोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर वरुण वर्मा और न्यूरोसर्जरी के कंसल्टेंट डॉक्टर अमित गर्ग इस ओपीडी सेवा में मरीजों को देखेंगे। भोपा रोड स्थित एवान हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी की ओपीडी महीने के पहले और तीसरे शुक्रवार को दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक रहेगी, जबकि न्यूरो सर्जरी की ओपीडी महीने के चौथे शुक्रवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक रहेगी।ये ओपीडी शुरू होने के बाद अब मरीज परामर्श लेने और रूटीन फॉलो-अप के लिए रेगुलर अपॉइंटमेंट ले सकेंगे। ओपीडी लॉन्च के मौके पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटपड़गंज में नेफ्रोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर वरुण वर्मा ने कहा, पिछले एक दशक में क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित मरीजों की संख्या लगभग डबल हो गई है और ये बहुत ही तेजी से बढ़ती जा रही है। इस तरह की समस्याओं का पता लगाने के लिए रेगुलर हेल्थ चेक-अप शुरुआती दौर में ही करा लेने चाहिए। ये बेहद जरूरी हैं और इससे भविष्य में पड़ने वाला आर्थिक बोझ भी कम होगा। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटपड़गंज में न्यूरो सर्जरी के कंसल्टेंट डॉक्टर अमित कुमार गर्ग और यूनिट हेड व सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर अमिताभ गोयल ने इस मौके पर कहा, न्यूरो साइंस के क्षेत्र में बहुत एडवांसमेंट हो रहे हैं, जिनकी मदद से न्यूरो से जुड़े जटिल से जटिल मामलों का इलाज भी पूरी तरह से बदल गया है। एडवांस माइक्रोस्कोप, न्यूरो एंडोस्कोपी, न्यूरो नेविगेशन (कम्प्यूटर एडेड सर्जरी), डेडिकेटेड न्यूरो टीम के साथ इंट्रा-ऑपरेटिव न्यूरो मॉनिटरिंग और न्यूरो आईसीयू केयर ने न्यूरो और स्पाइन की सर्जरी को बहुत ही सुरक्षित बना दिया है और इनसे सर्जन को अच्छे रिजल्ट पाने में बहुत मदद मिली है. ब्रेन और स्पाइन की मिनिमली इनवेसिव सर्जरी करने से खून का बहाव कम होता है, जिससे ओपन सर्जरी की तुलना में इस प्रक्रिया के मरीज की रिकवरी जल्दी होती है. मरीज को कम वक्त अस्पताल में रहना पड़ता है और वो जल्दी ही नॉर्मल लाइफ में लौटने लगते हैं।