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एमडीयू के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने की अध्यक्षता

विद्यार्थियों को वितरित की पीएचडी की डिग्रियां
LP Live, Rohtak: महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) रोहतक के 18वें दीक्षांत समारोह में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधियां प्रदान की। समारोह में हरियाणा के राज्यपाल तथा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने इस दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की।

रोहतक स्थित एमडीयू के टैगोर सभागार में मंगलवार को आयोजित दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़ के साथ शामिल हुए, जहां उन्होंने ने दीक्षांत समारोह में 1216 अभ्यर्थियों को पीएचडी उपाधि प्रदान की जाएगी। इसमें 740 अभ्यर्थी महिलाएं तथा 476 पुरुष हैं। समारोह में बेस्ट पीएचडी थीसिस अवार्डीज तथा तीन मेडलिस्ट्स को पुरस्कृत किया गया गया। उल्लेखनीय है कि 18वें दीक्षांत समारोह में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत को डी लिट (डॉक्टर ऑफ लेटर्स-ला)(आनरिस कोज़ा) की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। समारोह में डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़, हरियाणा के राज्यपाल व कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय, हरियाणा सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री मूल चंद्र शर्मा, लोक सभा सदस्य डॉ अरविंद कुमार शर्मा, राज्यसभा सदस्य रामचंद्र जांगडा, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह, जस्टिस सूर्यकांत जज सुप्रीम कोर्ट, कार्यकारिणी परिषद के सदस्य, विश्वविद्यालय के प्राचार्य छात्र छात्राएं एवं कई अन्य गणमान्य जन उपस्थित रहे।

भारत की विरासत से दुनिया अचंभित
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने समारोह में बोलते हुए कहा कि भारतीयता हमारी पहचान है, भारत का हित सर्वोपरि है! हमने जो विरासत पाई है, दुनिया के किसी देश ने ऐसी विरासत नहीं पाई है। दुनिया में भारत की बढ़ती शाख को का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति आईएमएफ और विश्व बैंक के अनुसार भारत निवेश और अवसर का सबसे पसंदीदा स्थान है। समारोह में डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को से उपराष्ट्रपति ने कहा गुरुजनों का आदर, परिजनों की सेवा और देश का सम्मान आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। हम उस भारत के नागरिक हैं जहाँ बुज़ुर्गों का सम्मान होता है। कोई भी परिस्थिति हो, अपने माता-पिता का हमेशा ध्यान रखें। उनकी सेवा में ही ईश्वर है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आप सचमुच भाग्यशाली हैं कि आप स्वयं को ‘अमृत काल’ के पारितंत्र में हैं! ‘अमृत काल’ ही हमारा ‘गौरव काल’ है। अब आपकी असीम ऊर्जा को उजागर करने और आपकी प्रतिभा और क्षमता को पूरी तरह से साकार करने के दरवाजे खुले हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा देश के युवा नए भारत के अगुआ हैं, इस देश में युवा दिमागों की उपलब्धियाँ असाधारण हैं।

भारत की विकास यात्रा में तेजी
धनखड़ ने कहा भारत आज तेज गति से विकास यात्रा पर आगे बढ़ रहा है और यह अब बढ़त अजेय है, भारत दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है। आज आपके पास देश में अवसरों की कोई कमी नहीं है भरपूर अवसर उपलब्ध हैं आप अपनी प्रतिभा का उपयोग कीजिए। उन्होंने कहा आप एक दशक पीछे जाएंगे तो आपको पता चलेगा कि जो सत्ता के गलियारे दलालों से भरे रहते थे उन्हें आज पूरी तरीके से दलालों से मुक्त कर दिया गया है और आज भारत में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि पहले कुछ लोग अपने आप को कानून से ऊपर समझते थे उनको लगता था कि कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता लेकिन कानून ने उनको अपने शिकंजे में जकड़ कर यह बता दिया कि प्रजातंत्र में कानून से ऊपर कोई नहीं होता है सभी के लिए एक समान कानून होता है और सबको कानून पालन करना पड़ता है।

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