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मुजफ्फरनगर में प्रदूषण के आगे विभाग की कार्रवाई कम, खतरे में पर्यावरण

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष:
LP Live, Muzaffarnagar: मुजफ्फरनगर जिले में शहर से लेकर देहात और औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण का कहर है। चिमनियों से निकलने वाले धुएं में ग्रामीण दुर्गंध महसूस कर रहे हैं, लेकिन प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों से लेकर इंजीनियरों तक यह दूर्गंध नहीं पहुंचती है। हांलात बढ़ते प्रदूषण के बीच विभागीय कार्रवाई की चाल भी बहुत धीमी है। यहीं कारण है कि वायु प्रदूषण में मुजफ्फरनगर कई बार पहले पायदान पर रह चुका है, जिसके चलते केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन भी जनपद में पहुंचे थे।

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पेपर मिलों और कोल्हूओं की कम नहीं जिले में संख्या
मुजफ्फरनगर में 38 पेपर मिलों का संचालन है। इसके साथ ही 300 से ज्यादा कोल्हू है। इतना ही नहीं 12 से अधिक रोलिंग मिले और इसके अलावा अन्य औद्योगिक इकाइयां है, जो प्रदूषण बोर्ड सहित जिला उद्योग केंद्र में पंजीकरण ही नही है। इनसे सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण पैदा हा रहा है। आबोहवा में चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुआं पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। पेपर मिलों से वायु प्रदूषण के साथ जल प्रदूषण का भी खतरा है। पेपर मिलों, रोलिंग मिलो सहित कोल्हुओं में प्रतिबंधित कचरा जलने के कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे पर्यावरण के साथ मनुष्य को भी बीमारियों का खतरा है।

450 से अधिक पहुंच गया मुजफ्फरनगर के AQI:  मुजफ्फरनगर वायु प्रदूषण में सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में पहुंचा था, जब एक्यूआई अत्यधिक खराब श्रेणी में पहुंचने के साथ 450 से पार पहुंच गया था। इसके बाद मुजफ्फरनगर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन का दौरा हुआ था, लेकिन उनका भ्रमण भोपा रोड स्थित बिंदल पेपर मिल में कराकर औपचारिकता निभाई गई थी। इस बढ़ते प्रदूषण से खराब हो रहे पर्यावरण का मुख्य कारण क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नियमित नहीं होने वाली कार्रवाई है। कार्रवाई के नाम पर छोटी इकाइयों पर सीलिंग हा रही है, जबकि पेपर मिले में जल रही प्लास्टिक वेस्ट बंद नहीं हो रहा है।

छह महीने में प्रदूषण बोर्ड की कार्रवाई
प्रदूषण बोर्ड द्वारा दिए आंकड़ों के अनुसार गत छह महीनों क्षेत्रीय प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी और इंजीनियरों की टीम ने मिलकर जनपद में कोई खास कार्रवाई वायु प्रदूषण पर नहीं की है। जनवरी में जिले में 13 कोल्हुओं पर वेस्ट प्लास्टिक जलाने पर कार्रवाई की। इसके बाद मार्च में चार कोल्हुओं पर कार्रवाई की। एसडीएम के नेतृत्व में हुई कार्रवाई में प्रति कोल्हुओं पर पांच से 25 हजार रुपये तक जुर्माना लगाया, जिसमें अधिकतर ने अभी तक जुर्माना की धनराशि तक जमा नहीं की है। इसके अलावा बेगराजपुर स्थित इ-वेस्ट रिसाइक्लिंग प्लांट पर प्रदूषण फैलाने पर क्षतिपूर्ति शुल्क लगाने के लिए संतुति की। वहीं बिलासपुर और निराना में दो प्लांट स्वामियों के खिलाफ प्लाटिक वेस्ट वेयर हाउस बनाने पर मुकदमा दर्ज कराया गया है।

क्या कहते है प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी:
वायु और जल प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक वेस्ट जलाने पर विशेष ध्यान है। पर्यावरण दिवस पर हम प्लास्टिक फ्री वातावरण के प्रति स्कूली विद्यार्थियों को आज जागरूकत भी करेंगे, ताकि उन्हें पर्यावरण संरक्षण में प्रदूषण खत्म करने के प्रति प्रेरित करें।
– जितेश चंद्रा, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुजफ्फरनगर

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