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यूपी को 2027 तक बाल श्रम मुक्त बनाने में जुटी योगी सरकार

प्रदेश भर में बाल श्रमिकों की होगी पहचान के लिए गठित होगी जिला टास्क फोर्स

योगी सरकार की बाल श्रम उन्मूलन की नई रणनीति, पंचायती राज विभाग से होगा डाटा संकलन
लखनऊ में 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस शुरू होगा जन जागरूकता अभियान
LP Live, Lukhnow: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने 2027 तक प्रदेश को बाल श्रम मुक्त बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए श्रम विभाग के नेतृत्व में शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, पंचायती राज, गृह, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, ग्राम्य विकास, शहरी विकास, और व्यवसायिक शिक्षा विभागों के बीच अभूतपूर्व समन्वय स्थापित किया गया है, जिनके साथ जिला स्तर पर टास्क फोर्स गठित होगा। बाल श्रम उन्मूलन की राह में डाटा की कमी और स्कूलों में बच्चों का ठहराव जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने ठोस और नवाचारपूर्ण कदम उठाए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह संकल्प विभिन्न विभागों के समन्वय और सामूहिक प्रयासों के साथ एक नया उत्तर प्रदेश गढ़ रहा है। डाटा संकलन, जागरूकता अभियान, और पुनर्वास योजनाओं के माध्यम से सरकार न केवल बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है, बल्कि बच्चों को शिक्षा और सुरक्षित भविष्य प्रदान करने में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है। यह अभियान 2027 तक उत्तर प्रदेश को बाल श्रम मुक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। इसी लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बाल श्रम को लेकर सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। योगी सरकार श्रमिकों के बच्चों के लिए अटल आवासीय विद्यालय का संचालन सभी मंडलों में कर रही है। इसके अलावा मुख्यमंत्री कंपोजिट विद्यालय के माध्यम से ग्रामीण और बाल श्रम के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ने पर प्रयासरत है। सरकार की ‘नया सवेरा’ योजना का गुणात्मक मूल्यांकन कर इसे पुनः लागू करने पर विचार किया जा रहा है, ताकि बाल श्रमिकों को बेहतर अवसर मिल सकें। जन जागरूकता के लिए 12 जून को अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस पर लखनऊ में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों का सहयोग लिया जाएगा।

बाल श्रम उन्मूलन बड़ी चुनौती
बाल श्रम उन्मूलन की सबसे बड़ी चुनौती विश्वसनीय डाटा की अनुपलब्धता रही है, क्योंकि 2011 की जनगणना के बाद से इस संबंध में कोई व्यापक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। इस समस्या से निपटने के लिए पंचायती राज विभाग को ग्राम स्तर पर कामकाजी बच्चों और बाल श्रमिकों का डाटा एकत्र करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह डाटा श्रम और शिक्षा विभाग के साथ साझा किया जाएगा, जिससे बाल श्रम उन्मूलन कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। सभी जनपदों में शीघ्र ही जिला टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा, जो पंचायतों के सहयोग से डाटा संकलन को गति देगा। इसके अतिरिक्त यूनिसेफ के सहयोग से विभिन्न विभागों की योजनाओं को एक बुकलेट में संकलित किया जाएगा, जिसमें बाल श्रमिकों और उनके परिवारों को लाभान्वित करने वाली योजनाओं की जानकारी होगी। यह पहल सुनिश्चित करेगी कि हर जरूरतमंद बच्चे और उनके परिवार तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचे।

बाल श्रमिक बच्चों को स्कूल भेजने पर बल
एक अन्य प्रमुख चुनौती है उन बच्चों का स्कूलों में ठहराव, जो नामांकन के बावजूद नियमित रूप से स्कूल नहीं आते और संभावित बाल श्रम की श्रेणी में आते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए महिला कल्याण विभाग की बाल सेवा योजना, स्पॉन्सरशिप योजना, और चाइल्ड हेल्पलाइन को सक्रिय रूप से लागू किया जा रहा है। इन योजनाओं के माध्यम से बच्चों को शिक्षा और पुनर्वास के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।

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