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पर्यावरण सुरक्षा की चेतावनी हैं भूकंप व प्राकृतिक आपदाएं

LP Live, Muzaffarnagar: श्री राम कालेज के सभागार में चल रहे पर्यावरण की सुरक्षा में कानून और शासन की भूमिका विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शनिवार को समापन हुआ। अंतिम दिन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे न्यायिक सदस्य प्रधान पीठ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली एवं न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी व विशिष्ट अतिथि डा. अफरोज अहमद विशेषज्ञ सदस्य प्रिंसिपल बेंच नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली, मा. शाकुम्भरी विश्वविद्यालय सहारनपुर से डा. एके. शर्मा आदि ने दीप प्रज्जवलन कर सत्र की शुरूआत की।

सेमिनार में न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी ने कहा कि मैं कानून का विद्यार्थी हूॅं और वो पहली पीढी हूं, जो वातावरण को दूषित होते देख रही है, लेकिन वो आखिरी पीढी नहीं जो पर्यावरण की समस्या का समाधान नहीं कर पाए। उन्होंने महात्मा गांधी के कथन को स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रकृति के पास मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के सम्पूर्ण संसाधन है परन्तु वो मनुष्य के लालच को पूरा नहीं कर सकती। आज के युग में प्रकृति हमें बार-बार आने वाले भूकम्प, बाढ, प्राकृतिक आपदाओं के रूप में चेतावनी दे रही हैं। उन्होंने कहा कि लगातर बढती ग्लोबल वार्मिंग की समस्या आने वाली भयानक आपदाओं का सूचक है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इंसान का अस्तित्व पृथ्वी के बिना कुछ नहीं है। शिक्षा के माध्यम से ही हजारों साल के पर्यावरण के भविष्य को संचित किया जा सकता है। विशिष्ट अतिथि डा. अफरोज अहमद ने नर्मदा परियोजना के विषय में बताया कि इसका कुछ लोगो ने विरोध किया तथा बहुत लोगो ने सर्मथन किया। परन्तु उनकी कडी मेहनत के कारण नर्मदा परियोजना को सफल बनाया गया। कहा कि प्रकृति के रूप में ईश्वर ने नदी, नालो, पेड-पौधों और मानव व पशु को बनाया कि जब ईश्वर ने मानव को इस पृथ्वी पर भेजा है तो प्रकृति की सुरक्षा के लिए सामंज्स्य रखने का कार्य करना चाहिए। प्राचीन समय में व्यक्ति प्रकृति के साथ सामंज्स्य बनाकर रहता था परन्तु कुछ समय से मानव इस सामंज्स्य से खिलवाड कर रहा है, जिससे प्रकृति का रूप नष्ट होता जा रहा है। इस अवसर पर कालेज चेयरमैन डा. एससी कुलश्रेष्ठ ने कहा कि प्रकृति ही प्रकृति के विनाश का कारण है। उन्होंने कहा कि जब तक कानून बनाकर सजा का प्रावधान नहीं होगा तब तक पर्यावरण की सुरक्षा करना मुश्किल है। इसके बाद ओसी सिंह, सुरभी, लारेब जमीर, तुषार मलिक, सना कुरैशी, माही, शशांक अग्रवाल, सान्या, प्रज्जवल धनगर, बुशरा खान, आयुषी, कुलमिलन, हुरैन, इकरा, साजिद, तब्बसुम, आयान त्यागी, मसीहा खान, अमन नईम, सिदरा, मुकूल आनंद, वंशवर्धन, उर्वशी तोमर, शिरिन व शीतल के द्वारा कानून संबंधी प्रश्न पूछे, जिन्हें उत्तर मिला। कार्यक्रम में प्रायार्चा डा. पूनम शर्मा, संजीव कुमार, सोनिया गौड, राखी ढिलोर, आंचल अग्रवाल, अनु चौधरी, सबिया खान, रेखा ढिलोर, प्रशांत चौहान, राममनु प्रताप सिंह, विनय तिवारी, त्रिलोक चंद का सराहनीय योगदान रहा।

 

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