सीएम साहब…जिला अस्पताल से गायब हो रही दवाइयों का बाजार में हो रहा व्यापार
LP Live, Muzaffarnagar: यूपी के मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल के लिए ड्रग वेयर हाउस से निकलने वाली सरकारी दवाइयां बाजार में बिकती रही और सीएमओ से लेकर सीएमएस तक अनजान रहे। भोपा में हुई डकैती में सरकारी अस्पताल का इंजेक्शन प्रयोग होने पर पुलिस ने एक्शन लिया तो कड़ी दर कड़ी जोड़ते हुए मामला जिला अस्पताल तक पहुंच गया, जिसने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर बड़े सवाल खड़े कर दिए। इस मामले में जिला अस्पताल प्रशासन और फार्मेसी विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आने लगी है। पुलिस के हस्ताक्षेप के बाद चीफ फार्मेसिस्ट ने सरकारी दवाईयां एवं इंजेक्शन गायब करने के मामले में मुख्य आरोपी गुलसनव्बर पर कोतवाली में चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। साथ ही चीफ फार्मेसिस्ट ने गत 27 फरवरी 2024 से पांच नवंबर 24 तक गायब दवाइयों की जांच शुरू कर दी है।
छह महीने इंटर्नशिप करने वाला करता रहा खेल, अधिकारी बने अनजान: जिला अस्पताल के फार्मेसी विभाग में छह महीने की इंटर्नशिप पर रखा गया मुख्य आरोपी गुलसनव्बर इंटर्नशिप खत्म होने के बाद भी वहां जमा हुआ था। फार्मसी विभाग के चीफ फार्मेसिस्ट उसी से ड्रग वेयर हाउस से दवाइयों का उठान कराते थे। ड्रग वेयर हाउस से दवाई उठान वाउचर पर उसके हस्ताक्षर रहते थे, लेकिन वह दवाई जिला अस्पताल के रिकॉर्ड में नहीं चढ़ाई चढ़ रही थी। इसमें बड़ी मात्रा में इंजेक्शन और टेबलेट शामिल है। इसका खुलासा गत महीने भोपा में हुई डकैती के दौरान बदमाशों द्वारा प्रयोग किए गए सरकारी इंजेक्शन से हुआ। पुलिस की जांच स्वास्थ्य विभाग तक पहुंची तो पता चला कि यह इंजेक्शन जिला अस्पताल के लिए भेजे गए थे।
जिला चिकित्सा अधिकारी डा. सुनील कुमार तेवतिया और सीएमएस ने रिकार्ड दिखवाया, जिससे यह पुष्टि हुई। चीफ फार्मेसिस्ट हरीश उनियाल ने प्राइवेट कर्मचारी गुलसनव्बर के खिलाफ गायब इंजेक्शन और टेबलेट ड्रग वेयर हाउस से जिला अस्पताल नहीं भेजने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई। इस मामले में क्राइम ब्रांच में अपनी अलग से जांच कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि पूर्व चीफ फार्मेसिस्ट पर भी इस मामले में पूछताछ होगी।
आरोपी के मेडिकल स्टोर से बरामद हो चुकी सरकारी दवाइयां
जिला अस्पताल में प्राइवेट में काम करने वाला मुख्य आरोपी गुलसनव्बर पुत्र शौकीन का शहर के मदीना कालोनी में एक निजी क्लीनिक और हेल्थ मेडीकेयर नाम से मेडिकल स्टोर पर कुछ दिन पूर्व औषधि निरीक्षक पवन शाक्य ने जांच की, जिस कारण 10 प्रकार की दवाइयां उसके मेडिकल स्टोर पर कार्पोरेशन वाली मिली थी। क्लीनिक पर कार्रवाई करने पर अभी विभाग नरमी बरत रहा है।
सीएमएस और चीफ फार्मेसिस्ट भी जिम्मेदार
निजी रूप से जिला अस्पताल के फार्मेसी विभाग में काम कर रहा आरोपी गुलसनव्बर एंबुलेंस से ड्रग वेयर हाउस से दवाईयां लेकर जिला अस्पताल के लिए निकलता था, लेकिन कई प्रकार की दवाइयां जिला अस्पताल के रिकोर्ड में भी नहीं चढ़ी मिली, जिससे निजी क्लीनिकों व मेडिकल स्टोर पर बेचा गया। रिकोर्ड में गड़बड़ी के पीछे चीफ फार्मेसिस्ट सहित अन्य कई कर्मचारियों को भी हाथ होने की संभावना है। उधर, सीएमएस डा. राकेश सिंह की भी लापरवाही इस मामले से उजागर हुई है। पूर्व में भी गुलसनव्बर अन्य गतिविधियों में पकड़ा गया, जिसे चुनिंदा फार्मासिस्टों पर पुलिस से छुड़ाया था।
जिसकी नहीं थी तैनाती, सीएमओ कर रहे उसे हटाने की बात: सीएमओ डा. सुनील कुमार तेवतिया का कहना जिला अस्पताल में प्राइवेट में रखे गए कर्मचारी को दवाइयां गायब करने व बाहर विक्रय करने के आरोप में गुलसनव्बर का नाम सामने आया है, जिस हटा दिया गया है। उक्त पर मुकदमा भी दर्ज कराया गया है। अब कारर्पोरेशन की दवाइयां गायब होने में पुलिस जांच कर रही है। इसमें पुलिस ही कार्रवाई करेगी। हम केवल रिपोर्ट ही दर्ज करा सकते थे।