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नहीं रहे भारत की हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन

विश्व विख्यात कृषि वैज्ञानिक का 98 वर्ष की आयु में निधन

कृषि व किसानों के हित में की थी सिफारिशें, जिन्हें किसान आज भी लागू करने की मांग
LP Live, New Delhi: प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डा. एमएस स्वामीनाथन और देश की ‘हरित क्रांति’ के पीछे प्रेरक शक्ति का गुरुवार को चैन्नई में बीमारी के चलते निधन हो गया। वे 98 वर्ष के थे और उनकी तीन बेटियां हैं। आज भी किसान आंदोलन के दौरान स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करते नहीं थकते। वे राज्य सभा के सांसद भी रहे हैं।

एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। कृषि आइकन माने जाने वाले स्वामीनाथ पिछले काफी समय से उम्र संबंधी बीमारी का इलाज किया जा रहा था। बताया जा रहा है कि उन्होंने गुरुवार सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। एक कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वामीनाथन ने 1960 के दशक में भारत को अकाल जैसी परिस्थितियों से बचाने के लिए अपनी नीतियों के माध्यम से एक सामाजिक क्रांति लाई। उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजे गये
स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता रहा है। वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सबसे पहले गेहूं की एक बेहतरीन किस्म को पहचाना और स्वीकार किया। इसके कारण भारत में गेहूं उत्पादन में भारी वृद्धि हुई। स्वामीनाथन को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, इनमें पद्मश्री (1967), पद्मभूषण (1972), पद्मविभूषण (1989), मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और विश्व खाद्य पुरस्कार (1987) महत्वपूर्ण हैं।

कृषि को बढ़ावा देने की सिफारिश
देश में कृषि और किसानों की दशा व दिशा सुधारने की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा उनकी अध्यक्षता में 18 नवंबर, 2004 को स्वामीनाथन आयोग का गठन किया गया था। हालांकि इस आयोग का नाम राष्ट्रीय किसान आयोग है और इसके अध्यक्ष एमएस स्वामीनाथन हैं। उन्हीं के नाम पर इस आयोग का नाम स्वामीनाथन आयोग पड़ा। इस आयोग ने लंबे समय तक किसानों की समस्या को समझने के बाद केंद्र से कृषि क्षेत्र में कई जरूरी सुधारों की मांग की थी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लंबे समय तक किसानों की समस्या को समझने के बाद केंद्र से कृषि क्षेत्र में कई जरूरी सुधारों की मांग की थी, जिन्हें ठीक तरह से लागू नहीं किया गया। आज भी किसान अपने आंदोलनों के दौरान बार बार स्वामीनाथ रिपोर्ट लागू करने की मांग करते आ रहे हैं।

पीएम मोदी ने जताया शोक
पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वामीनाथन के निधन पर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि स्वामीनाथन के निधन से दुख पहुंचा है। देश के इतिहास के इस बेहद अहम काल के दौरान कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व कार्यों ने करोड़ों लोगों की जिंदगी बदल दी और देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। अन्य कृषि विशेषज्ञों ने भी स्वामीनाथन के निधन पर शोक जताया है।

 

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