बैंक खाते को फ्रॉड घोषित करने से पहले कर्जदार को मिले मौका
सुप्रीम कोर्ट ने बैंंक को निर्देश देते हुए अहम फैसले में की टिप्पणी


LP Live, New Delhi: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि कर्जदार या खाते को फ्राड घोषित करने से पहले खाताधारक को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश की पुष्टि की और गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा लिए गए विपरीत दृष्टिकोण को रद्द कर दिया।
पीठ ने कहा कि उधारकर्ता खातों को धोखाधड़ी के रूप में वगीकृत करने का निर्णय तर्कपूर्ण आदेश के साथ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उधारकर्ताओं को संस्थागत वित्त तक पहुंचने से रोकने से उधारकर्ताओं पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और यह उधारकर्ताओं को ब्लैकलिस्ट करने के समान है, जो उनके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित करता है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसले में कहा कि बैंकों को कर्जदारों के खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने को लेकर यह टिप्पणी की।

बैंको वजह बतानी होगी
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दिसंबर 2020 के तेलंगाना हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा किसी खाते को डिफॉल्टर घोषित करने के लिए बैंकों को मजबूत वजह बतानी पड़ेगी। बेंच ने कहा कि उधारकर्ता खातों को धोखाधड़ी के रूप में वगीकृत करने का निर्णय तर्कपूर्ण आदेश के साथ होना चाहिए। बेंच ने कहा कि उधारकर्ताओं को संस्थागत वित्त तक पहुंचने से रोकने से उधारकर्ताओं पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और यह उधारकर्ताओं को ब्लैकलिस्ट करने के समान है, जो उनके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित करता है।
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यूपी सरकार की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस मामले में पीड़िता के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने और परिवार को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने पर विचार करने के उच्च न्यायालय के निर्देश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) गरिमा प्रसाद से कहा, राज्य को ऐसे मामलों में नहीं आना चाहिए। प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार परिवार को स्थानांतरित करने के लिए तैयार है, लेकिन वे नोएडा या दिल्ली में नौकरी चाहते हैं। उन्होंने कहा कि क्या पीड़िता के बड़े विवाहित भाई को आश्रित माना जा सकता है, यह कानून का प्रश्न है जिस पर विचार किया जाना चाहिए।
