
लोकपथ लाइव, मुजफ्फरनगर। जिले में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान की शुरुआत होते ही परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों पर एक और जिम्मेदारी का बोझ आ गया है। जिला प्रशासन ने नगर क्षेत्र के अधिकांश शिक्षकों को बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) नियुक्त कर दिया है। पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे विद्यालयों में अब यह नई ड्यूटी शिक्षा व्यवस्था को और चरमराने वाली साबित हो रही है। इस समस्या को लेकर शिक्षक बीएसए से लेकर तहसीलों में अपनी शिकायत दे चुके हैं।
नगर क्षेत्र के कई प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या एक या दो तक सिमट गई है। ऐसे में एकमात्र शिक्षक को बीएलओ बना देने से स्कूलों में पठन-पाठन व्यवस्था चरमराने की समस्या भी खड़ी हो रही है। कई स्कूलों में बच्चों को बिना अध्यापक के बैठना पड़ रहा है। शिक्षा मित्र ही उनकी देखरेख कर रही है। शिक्षकों का कहना है कि बीएलओ कार्य अत्यंत समय लेने वाला होता है, जिसमें फॉर्म भरने, सत्यापन और घर-घर संपर्क का दायित्व शामिल है। इससे स्कूल का नियमित शिक्षण कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। शिक्षकों का कहना है कि पहले ही विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है, अब बीएलओ में ड्यूटी लगाई गई है।
ड्यूटी लगाने से पहले स्कूलों में स्टाफ का सर्वे नहीं हुआ है। इस स्थिति को देखकर अधिक समस्या होने पर शिक्षकों ने बीएसए कार्यालय पहुंचकर अपनी समस्याएं रखीं और मांग की कि जिन विद्यालयों में एक या दो शिक्षक हैं, वहां के शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त किया जाए। उनका कहना है कि बच्चों की पढ़ाई पहले से ही परीक्षा सत्र के करीब होने के कारण प्रभावित हो रही है।
बीएसए संदीप कुमार का कहना है कि शिक्षकों की ड्यूटी तहसील से ही बीएलओ में लगाई गई है। हमारे विभाग से केवल शिक्षकों की सूची ली गई है। 20 से अधिक शिक्षकों के निवेदन पत्र विभाग में आए हैं, जिसमें विभिन्न कारण बताते हुए शिक्षकों ने अपनी ड्यूटी कटवाने के लिए मांग की है। शिक्षकों का कहना है कि तहसीलों में भी वह अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी उनकी समस्या सुनने को तैयार नही हैं। शिक्षकों का कहा जा रहा है कि यदि स्कूलों में शिक्षक कम है तो सुबह स्कूल में पढाई कराएं, इसके बाद तीन बजे के बाद बीएलओ की ड्यूटी करें। इससे महिला शिक्षकों के सामने बड़ी परेशानी पैदा हो गई है।
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