
लोकपथ लाइव, डेस्क। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। प्रदेश के टॉप-10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में मेरठ पहले स्थान पर है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 381 दर्ज किया गया। वहीं, गाजियाबाद 351 ए़क्यूआई के साथ दूसरे स्थान पर है। चिंताजनक बात यह है कि मुजफ्फरनगर भी अब इस सूची में शामिल हो गया है और सातवें स्थान पर पहुंच गया है। प्रदूषण बढ़ने के कारण सुबह के समय इन शहरों में स्माग छाया रहा।
मेरठ, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, बागपत और नाएडा सभी शहरों में प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों के बावजूद वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ रही है। सुबह के समय सड़कों और गलियों में धुंध और स्मॉग की मोटी परत छाई रहती है, जिससे दृश्यता कम हो जाती है और सांस से जुड़ी परेशानियां बढ़ रही हैं। डॉक्टरों ने लोगों को मास्क पहनने, अनावश्यक बाहर न निकलने और बच्चों-बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाना, वाहनों का धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन और निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। पर्यावरणविदों प्रशासन से सख्त नियंत्रण उपाय लागू करने, सड़क किनारे हरियाली बढ़ाने और जनजागरूकता अभियान चलाने की अपील कर रहे हैं। लगातार बढ़ते प्रदूषण स्तर ने मेरठ, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर की हवा को ‘गंभीर’बना दिया है। अब यह सिर्फ आंकड़ों का नहीं, बल्कि सेहत का संकट बन चुका है।
गाजियाबाद का हाल खराब कर रही लोनी की अवैध फैक्ट्रियां
गाजियाबाद के साहिबाद और लोनी क्षेत्र में सबसे अधिक एक्यूआई पहुंच गया है। रविवार को साहिबाबाद में एयर क्वालिटी इंडेक्स 391 है। वहीं लोनी में 361 दर्ज किया गया है। इंद्रापुरम में 300 के आसपास दर्ज किया गया है। गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में सेवाधाम, भेटा, कृष्णानगर आदि क्षेत्रों में लोहे और एलुमिनियम की अवैध फैक्ट्रियां और भट्टियां चल रही है, जिससे वहां की आबोहवा खराब हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि घरों से सटे प्लाटों में फैक्ट्रियां संचालित हो रही है, लेकिन प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह का कहना है कि जल्द ही लोनी के उन क्षेत्रों में अभियान चलेगा, जहां अवैध फैक्ट्रियां व भट्टियां संचालित कर हवा को जहरीला बनाया जा रह है।
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