
LP Live, Muzaffarnagar/ Dehradun: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गुरुवार को मुजफ्फरनगर स्थित रामपुर तिराहा शहीद स्मारक पहुंचे, जहां उन्होंने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में शहीद हुए आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं और उत्तराखंड आंदोलन की पीड़ा, बलिदान और संघर्ष को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की बात करते हुए नई घोषणाएं की है। मुख्यमंत्री ने स्मारक परिसर में राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि देने के साथ ही उस ऐतिहासिक स्थान के पुनर्विकास का ऐलान किया, जहां 1994 में रामपुर तिराहा कांड हुआ था। इस हृदयविदारक घटना में सात उत्तराखंडी आंदोलनकारियों ने अपनी जान गंवा दी थी।
रामपुर तिराहा कांड जलियांवाला कांड से भी भयावह था
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह घामी ने इस दौरान कहा कि रामपुर तिराहा कांड एक ऐसा अध्याय है, जिसने उत्तराखंड राज्य आंदोलन को गहरे जख्म दिए। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उस समय की समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार इस अमानवीय घटना की जिम्मेदार है, जिसमें आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाई गईं और महिलाओं के साथ अमानवीय घटनाएं की गई। उन्होंने कि कोर्ट ने भी माना कि यह कांड जलियांवाला बाग से भी भयावह था।
पूर्व सांसद संजीव बालियान से मिले सहयोग के लिए किया धन्यवाद
सीएम ने पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री और मुजफ्फरनगर के सांसद डॉ. संजीव बालियान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने रामपुर तिराहा कांड के मुकदमों में उत्तराखंडियों की मदद कर सराहनीय कार्य किया है। कहा कि उन्होंने डा. संजीव बालियान से रामपुर तिराहा कांउ के मुकदमों की पैरवी में सहयोग मांगा था, जिसमें उनका साथ मिला।
हमने राज्य आंदोलनकारियों को सम्मान और सहायता दी
मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों और उनके परिवारों के लिए दी जा रही विभिन्न योजनाओं का विवरण देते हुए कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के परिवारों के लिए नौकरी में हमने 10 प्रतिशत आरक्षण दिया है। शहीद आंदोलनकारियों के परिजनों को 3000 रुपये मासिक पेंशन दी, घायल एवं जेल गए आंदोलनकारियों को 6000 रुपये की मासिक पेंशन का लाभ दिया। सक्रिय आंदोलनकारियों को 4500 रुपये प्रति माह की पेंशन दी गई।
पहली बार हुई रामपुर तिराहा स्मारक के पुनर्विकास की घोषणा
गुरुवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने रामपुर तिराहा शहीद स्मारक के पुनर्विकास की औपचारिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि
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स्मारक का पुनर्विकास उत्तराखंड सरकार द्वारा कराया जाएगा।
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संग्रहालय को भव्य रूप दिया जाएगा, जिससे नई पीढ़ी को राज्य आंदोलन के इतिहास की जानकारी मिल सके।
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स्मारक पर कैंटीन और सुविधाएं विकसित होंगी।
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उत्तराखंड की सरकारी बसें स्मारक पर रुकेंगी, ताकि राज्य के लोग यहां आकर बलिदान की कहानी जान सकें।
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“उत्तराखंड निर्माण के लिए कितनों ने बलिदान दिया, यह जानना हमारी पीढ़ियों के लिए जरूरी है।”
उत्तराखंड में ‘लैंड जिहाद’ और मदरसों पर सख्ती
सीएम धामी ने अपने संबोधन में राज्य में किए गए कानून-व्यवस्था संबंधी कार्यों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 9,000 एकड़ से अधिक भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया। 550 से अधिक अवैध मजारें हटाई गईं। अवैध मस्जिदों पर कार्रवाई की गई। 250 से अधिक मदरसों को बंद किया गया। अब मदरसों में सरकारी बोर्ड का निर्धारित पाठ्यक्रम ही पढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम युवाओं को 500 साल पुरानी मानसिकता से निकालकर मुख्यधारा की शिक्षा देना चाहते हैं।
महावीर शर्मा की मृर्ति का हुआ लोकार्पण
इस मौके पर रामपुर तिराहा शहीद स्मारक बनाने के लिए जमीन दान में देने वाले महावीर शर्मा की प्रतिमा का मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने लोकार्पण किया। इस दौरान उनके पुत्र पप्पू शर्मा परिवार के साथ मौजूद रहे। कार्यक्रम में मंच पर पप्पू शर्मा ने सीएम को सम्मानित किया। इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष ने भी सीएम को सम्मानित किया।
इन्होंने लिया कार्यक्रम में भाग
शहीद स्मारक पर हुए श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उत्तराखंड से कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, खानपुर विधायक उमेश कुमार, रुडकी विधायक प्रदीप बत्रा, मुजफ्फरनगर विधायक व राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, पुरकाजी विधायक एवं प्रदेश कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार, पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान, भाजपा नेता जगदीश पांचाल, पूर्व विधायक अशोक कंसल आदि मौजूद रहे।
कार्यक्रम स्थल पर हुआ हंगामा
कार्यक्रम स्थल पर राज्य आंदोलनकारी भी पहुंचे, जिन्होंने कार्यक्रम समाप्त होते ही हंगामा किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का सपनों का प्रदेश बनानी की बात की जा रही है, लेकिन प्लेन क्षेत्र में ही विकास हो रहा है, जबकि पहाडी इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं तक नहीं है।
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