यूपी: शाहजहांपुर के गांव में खेत से खुदाई में मिला हथियारों का जखीरा
मुगल काल के रोहिल्ला संस्कृति के हो सकते हैं अस्त्र शस्त्र: इतिहासकार
जिला प्रशासन ने सभी हथियार अपने कब्जे में लिये, पुरातत्व विभाग ने शुरु की जांच
LP Live, Shahjahnpur: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में खेत की जुताई के दौरान काफी पुराने तलवारों बंदूक समेत अस्त्र शस्त्रों का जखीरा मिला है जिन्हें जिला प्रशासन ने अपने कब्जे में लेकर पुरातत्व विभाग को सूचना भेजी जा रही है। यह जानकारी जिलाधिकारी ने दी।
बताया जा रहा है कि थाना निगोही अंतर्गत ढकिया परवेजपुर गांव में रहने वाला किसान बाबूराम अपने खेत की जुताई कर रहा था। इसी बीच उसे लोहे की तलवार जैसी कोई वस्तु मिली, जिसके बाद खेत मालिक ने वहां पर खोद कर देखा तो उसे जमीन के नीचे दबे हुए अस्त्र-शस्त्र मिले हैं। इसकी पुष्टि करते हुए शाहजहांपुर के जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि कि खेत में मिले अस्त्र-शस्त में तलवार (23) भाला (एक) खंजर (एक) बंदूक (गाजाही) 12 तथा लोहे के तमाम टुकड़े मिले हैं। बंदूक की केवल नाल (बैरल) ही बची है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि मिट्टी में दबी होने के कारण लकड़ी दीमक का आदि खा गए होंगे।
सूचना पर पुरातत्व की टीम मौके पर
जिलाधिकारी ने बताया कि उनके संज्ञान में जैसे ही मामला आया, उन्होंने तत्काल ही उपजिलाधिकारी को निर्देश दिए। इसके बाद अधिकारी मौके पर पहुंचे और पुराने जमाने के मिले हुए शस्त्रों को थाने के मालखाना में सुरक्षित रूप से रखवा दिए हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि इस संबंध में पुरातत्व विभाग को पत्र भेज रहे हैं। सूचना मिलने पर पुरातत्व विभाग ने खुदाई में मिले हथियारों की जांच शुरु कर दी है ताकि इसके इतिहास की सटीक जानकारी मिल सके। हालांकि महेश स्वामी सुक देवानंद कॉलेज के इतिहास विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ विकास खुराना ने यहां मिले इन अस्त्र-शस्त्र को मुगल काल के रोहिल्ला संस्कृति के होने की संभावना जताई है।
1857 में क्रांति का इतिहास संभव
उनके अनुसार जब 1857 में क्रांति हुई थी, तब ब्रिटिश फौज से क्रांतिकारी हारे होंगे और वह इन्हीं रास्तों से पीलीभीत के जंगलों की ओर गए रहे होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसी संभावना है कि इन्हीं क्रांतिकारियों ने अपने हथियार छुपाए होंगे, क्योंकि जीती हुई सेना कभी भी अपने हथियार नहीं छुपाती है। उन्होंने कहा कि जो मैचलाक राइफल मिली है, उसमें बारूद भरकर उसे दागा जाता था जिसे लोग (गजाही) बंदूक भी कहते हैं। इस बंदूक का चलन ब्रिटिश शासन काल में था।