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नवीनतम रिपोर्ट कहती है कि भारत की शिशु मृत्यु दर 25 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई, सबसे कम मणिपुर में


India’s Infant Mortality Rate: भारत में लंबे समय से शिशु मृत्यु दर एक गंभीर चिंता का विषय रहा है। हालांकि आधुनिक चिकित्सा, मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, टीकाकरण अभियान, प्रसव के दौरान बेहतर मेडिकल सुविधाओं के चलते इसमें उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। देश ने इस विषय को लेकर दशकों तक संघर्ष किया, नीतियां बनाई, योजनाएं चलाईं और समाज को जागरूक किया। आज नतीजा सामने है शिशु मृत्युदर में उल्लेखनीय गिरावट आई है। हालांकि चुनौतियां अभी भी हैं, कई इलाकों में कुपोषण, समय पर टीकाकरण की कमी और स्वास्थ्य सुविधाओं की असमानता के कारण समय-समय पर चिंता बढ़ाने वाली रिपोर्ट्स सामने आती रही हैं। 

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फिलहाल, भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) रिपोर्ट 2023 के अनुसार देश में शिशु मृत्यु दर (इन्फेंट मोर्टालिटी रेट-आईएमआर) में काफी सुधार देखा गया है। ये साल 2013 में हर 1000 जन्मे बच्चों में से 40 से घटकर अब 25 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई है। यानी कि मृत्युदर में 37.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। 

गौरतलब है कि आईएमआर एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य संकेतक है जो एक वर्ष में प्रति 1,000 जीवित जन्मों में बच्चों की मृत्यु की संख्या को परिभाषित करता है। ये संख्या जितनी कम होगी, स्वास्थ्य सेवा की पहुंच उतनी ही बेहतर मानी जाती है।




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latest report says Indias Infant mortality rate touched a record low of 25 lowest was Manipur

शिशु मृत्युदर की हालिया रिपोर्ट
– फोटो : Freepik.com


देश के तमाम राज्यों में स्थिति जानिए

एसआरएस 2023 की रिपोर्ट के अनुसार शिशु मृत्यु दर में साल 1971 की तुलना में 80 प्रतिशत की गिरावट आई है, उस साल आईएमआर 129 था। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में आईएमआर का उच्चतम स्तर 37 रिपोर्ट किया गया जबकि सबसे कम मणिपुर (3) में था। 

केरल 21 बड़े राज्यों में से एकमात्र ऐसा राज्य था जिसने सिंगल डिजिट शिशु मृत्यु दर (5) दर्ज किया। यह देश में मणिपुर के बाद दूसरे स्थान पर है।

ग्रामीण क्षेत्रों घटी शिशुओं की मृत्युदर

जारी आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी आईएमआर में गिरावट देखी गई है जो 44 से कम होकर 28 रह गई है। वहीं देश के शहरी क्षेत्रों में यह संख्या 27 से घटकर 18 हो गई। यह क्रमशः लगभग 36 प्रतिशत और 33 प्रतिशत की  गिरावट को दर्शाता है। 

शिशुओं की मृत्य दर के साथ-साथ जन्म दर में भी कमी देखी गई है। यहां जानना जरूरी है कि जन्म दर किसी जनसंख्या की प्रजनन क्षमता का मापक है और जनसंख्या वृद्धि का एक महत्वपूर्ण निर्धारक है। 


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जन्म दर में भी आई गिरावट
– फोटो : Freepik.com


जन्म दर में भी आई कमी

रिपोर्ट से पता चलता कि पिछले पांच दशकों में देश में जन्म दर भी कम हुआ है, ये 1971 में 36.9 से घटकर 2023 में 18.4 रह गया है। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म दर अधिक रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दशक में जन्म दर में लगभग 14 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो 2013 में 21.4 से घटकर 2023 में 18.4 हो गई है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 22.9 से घटकर 20.3 हो गई है, ये लगभग 11 प्रतिशत की गिरावट है। शहरी क्षेत्रों में यह 17.3 से घटकर 14.9 हो गई है जो लगभग 14 प्रतिशत की गिरावट। 

बिहार में जन्म दर सबसे अधिक 25.8 रही, जबकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह 2023 में 10.1 के साथ सबसे कम पर था।मृत्यु दर जनसंख्या परिवर्तन के बुनियादी घटकों में से एक है और इससे संबंधित डेटा जनसांख्यिकीय अध्ययन और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशासन के लिए आवश्यक है।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।


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