भूजल की गहराई नापने को प्रदेश में लगे हैं 1700 पिजो मीटर
LP Live, Chandigarh: प्रदेश में जल संरक्षण को प्रोत्साहित करने और अमृत जल क्रांति के अंतर्गत संपन्न हुई जल संगोष्ठी में उपमुख्यमंत्री हरियाणा दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रदेश में नए उद्योगों में नई एवं आधुनिक तकनीक से युक्त वाटर ट्रीटमेंट प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार आईएमटी सोहना, आईएमटी खरखौदा तथा ड्रीम प्रोजेक्ट गुरुग्राम ग्लोबल सिटी में नए वाटर ट्रीटमेंट सिस्टम स्थापित करेगी।
पंचकूला में आयोजित अंतराष्ट्रीय जल संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में हिस्सा लेते हुए उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रदेश में पानी के जीरो लिक्विड डिस्चार्ज की दिशा तथा पानी को दोबारा उपयोग के योग्य बनाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र से सीवरेज व बरसाती पानी की निकासी के लिए बनाए गए पुराने बुनियादी ढांचे को अपडेट करने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को पुराने रोहतक शहर के औद्योगिक क्षेत्र की सीवरेज आदि की व्यवस्था को नई तकनीक के माध्यम से पायलट तौर पर दुरूस्त करने का आह्वान किया ताकि पानी का फिर से उपयोग किया जा सके।
दोबारा जीवित हो सकते हैं बोरवेल
चौटाला ने महाराष्ट्र के जिला लातूर में अपनाई जा रही उस तकनीक का भी जिक्र किया, जिससे डैड हो चुके बोरवेल को दोबारा जीवित किया जा सकता है। उन्होंने राज्य में प्राकृतिक झीलों के निर्माण पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में जल संरक्षण के क्षेत्र में कम से कम एक-एक पायलट प्रोजेक्ट बनाया जाए ताकि उनके परिणामों के आधार पर लोगों को प्रेरित कर सके। उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय परिस्थितियों को देखते हुए सड़क और बिजली से भी ज्यादा भविष्य के लिए जल संरक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से राज्य सरकार वाटर ट्रीटमेंट और जल संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही है, इससे उम्मीद है कि हरियाणा पूरे देश में एक रोल मॉडल बनकर उभरेगा। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि समय रहते हमें जल संरक्षण के लिए आधुनिक तरीके अपनाने होंगे। उन्होंने सिंगापुर, कोरिया तथा यूएई जैसे देशों के वाटर मैनेजमेंट पर चर्चा करते हुए कहा कि उनको आशा है कि इस जल-संगोष्ठी से हरियाणा में भी जल प्रबंधन बेहतर होगा।
प्रदेश में 180 आरटीडास लगे
इससे पहले बुधवार को इस जल संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया था। इस मौके पर उन्होंने कहा कि पानी की आपूर्ति, इसके प्रबंधन तथा पानी की चोरी रोकने के लिए आरटीडास सिस्टम लगाए जा रहे हैं। अब तक 180 आरटीडास लगाए जा चुके हैं, जिससे विभाग द्वारा यह निगरानी रखी जा रही है कि किस स्थान से कितना पानी छोड़ा जा रहा है और अगले स्थान पर उतना पानी पहुंच रहा है या नहीं। उन्होंने कहा कि हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण द्वारा भूजल की गहराई का पता लगाने के लिए 1700 पिजो मीटर लगाए जा चुके हैं। लेकिन भूजल दोहन तथा इसके उपयोग की भी मॉनिटरिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए तथा 6 माह या साल भर में भूजल का आकलन किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने भी प्रदेश में ट्रीटेड वाटर पीने के लिए उपयोग में लाने पर बल दिया, जिसमें उन्होंने सिंगापुर में सिंचाई तथा पीने तथा अन्य उपयोगों के लिए ही ट्रीटेड वॉटर का उपयोग हो रहा है। इसिलए प्रदेश में भी हमें नई-नई तकनीकों का अध्ययन करके पानी की मांग और उसके उपयोग को रेगुलेट करने के साथ-साथ इसके इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की जरुरत है।