हंसराज महाविद्यालय में काव्योत्सव में काव्यपाठ
हास्य कवियों ने श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
LP Live, New Delhi: दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज महाविद्यालय में आयोजित काव्योत्सव में देश के लब्ध प्रतिष्ठित कवियों ने काव्यपाठ करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। वहीं देशभक्ति और आजादी के महोत्सव को लेकर भी कवियों ने अपनी कविताओं को प्रस्तुत किया। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो डॉ. रमा ने अथितियों व कवियों का प्रतीक चिन्ह व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
हिंदी साहित्य परिषद् और दिल्ली हिंदी अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में हंसराज महाविद्यालय के पद्मभूषण ज्ञानप्रकाश चोपड़ा संगोष्ठी कक्ष में आयोजित काव्योत्सव का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रुप में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में निदेशक जयप्रकाश पाण्डेय ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया, जबकि काव्यपाठ का आरंभ दीपक गुप्ता ने किया। कार्यक्रम में कैथल के कवि दिनेश शर्मा ने ओजपूर्ण कविताओं से श्रोताओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि आज़ादी के पावन यज्ञ में बन समिधा न जले होते, परतंत्रता के चक्रव्यूह से अब तक न निकले होते से श्रोताओं को अपनी ओर आकर्षित किया, तो बोकारो, झारखण्ड के कवि विनीत पाण्डेय ने अपनी हास्य प्रस्तुति ‘मस्ती में घूमती थी हंसाती भी बहुत थी, मिलती थी जब गले से लगाती भी बहुत थी, लेकिन न बढ़ सका हमारे प्यार का किस्सा, सुन्दर तो थी बहुत मगर खाती भी बहुत थी’ से सबको खूब हंसाया।
गजलों ने बांधा समां
नोएडा के गीतकार चरणजीत चरण ने ‘दोबारा जीत जाता है तिबारा जीत जाता है, हकीकत हार जाती है तमाशा जीत जाता है, तो क्यूँ हर शख्स के किरदार पर खरगोश हावी है, कहानी में तो लिखा है कि कछुआ जीत जाता है’ जैसी ग़ज़लों से समां बाँधा। वहीं मशहूर शायर दीक्षित दनकौरी ने अपनी ग़ज़लों ‘ए ग़ज़ल पास आ गुनगुना लूं तुझे, तू सँवारे मुझे मैं संवारूं तुझे’ प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि पांडेय ने भी रचनात्मकता के महत्त्व पर चर्चा के साथ ही जीवन विषय पर सुन्दर कविता का पाठ भी किया। कार्यक्रम में हिंदी अकादमी के उप सचिव ऋषि शर्मा, दिल्ली हिंदी अकादमी के सहायक सचिव जगदीश चन्द्र शर्मा, काव्योत्सव के समन्वयक और संयोजक डॉ रामचंद्र गर्ग, नरेश सिंह रावत, डॉ रवि गौड़, दिवेश चन्द्र आदि उपस्थित रहे। काव्योत्सव का संचालन कवि विनीत पाण्डेय ने किया।