सुप्रीम कोर्ट का मनीष सिसोदिया को झटका, जमानत अर्जी की खारिज
दिल्ली आबकारी नीति मामले में जेल में बंद हैं मनीष सिसोदिया


LP Live, New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी है, जो दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में जेल में बंद हैं। अदालत ने जांच एजेंसियों के बयान को रिकॉर्ड किया है कि इन मामलों में सुनवाई छह से आठ महीने में पूरी हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना एवं न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने सोमवार को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाला से संबंधित भ्रष्टाचार एवं धन शोधन के केस में दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की नियमित जमानत के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। वहीं शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया है कि सिसौदिया का मुकदमा छह से आठ महीने के भीतर पूरा किया जाए। कोर्ट के निर्देश में यह भी कहा गया है कि अगर मुकदमा धीरे-धीरे आगे बढ़ता है, तो तीन महीने के भीतर सिसोदिया फिर से जमानत के लिए अर्जी दाखिल कर सकते हैं। पीठ ने जांच एजेंसियों के बयान को रिकॉर्ड किया है कि इन मामलों में सुनवाई छह से आठ महीने में पूरी हो जाएगी।

शीर्ष अदालत ने अब खत्म हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में दायर सिसोदिया की दो अलग-अलग नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने 17 अक्टूबर को दोनों याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जमानत अर्जी खारिज कर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हालांकि कई प्रश्न अनुत्तरित हैं, 338 करोड़ रुपये के हस्तांतरण के संबंध में एक पहलू अस्थायी रूप से स्थापित है। इसके पहले जुलाई में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
फरवरी में हुई थी गिरफ्तारी
सीबीआई ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी को दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था। वहीं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद नौ मार्च को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े धन शोधन के मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया। सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। उच्च न्यायालय ने 30 मई को सीबीआई के मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उप मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री रहने के कारण वह एक ‘हाई-प्रोफाइल’ व्यक्ति हैं जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
