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सावधान! बच्चों के लिए खौफ बन रहा है नया वायरस

देश के असम व ओडिशा समेत कई राज्यों में फैला टोमैटो फ्लू संक्रमण

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी कि संक्रमण से बचाव के दिशानिर्देश
LP Live, New Delhi: देश में कोराना वायरस के बाद ब ‘हैंड फूट एंड माउथ डिजीज’ यान टोमैटो फ्लू खौफ बनता नजर आ रहा है। यह वायरस एक वायरल इंफेक्शन के रूप में बच्चों को निशाना बना रहा है। देश में इस संक्रमण की कोई वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं है, इसलिए बच्चों को बचाकर रखने की स्वास्थ्य विभाग ने सलाह दी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टोमैटो फ्लू पर दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा है कि टोमैटो फ्लू वायरस का उपचार अन्य वायरल संक्रमणों की तरह ही है, जिसमें आईसोलेशन, आराम, बहुत सारे तरल पदार्थ और जलन और चकत्ते से राहत के लिए गर्म पानी के स्पंज आदि है। बुखार और बदन दर्द के लिए पेरासिटामोल की सहायक चिकित्सा और अन्य रोगसूचक उपचारों की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों में कहा गया है, कि टोमैटो फ्लू एक स्व-सीमित संक्रामक रोग है क्योंकि संकेत और लक्षण कुछ दिनों के बाद हल हो जाते हैं। टोमैटो फ्लू के उपचार या रोकथाम के लिए कोई एंटीवायरल दवाएं या वैक्सीन भीउपलब्ध नहीं हैं। ज्यादातर मामलों में यह एक हल्का स्व-सीमित वायरल रोग है और इसमें रिकवरी के लिए देखभाल की आवश्यकता होती है। कुछ में मैनिंजाइटिस और प्रसारित संक्रमण जैसी जटिलताएं विकसित हो सकती हैं। दरअसल देश में कोरोना के कहर के बाद संक्रमण का खतरा नियंत्रण में आया तो टोमैटो फ्लू संक्रमण की शुरुआत केरल, तमिलनाडु और ओडिशा में सामने आने पर ‘हैंड फूट एंड माउथ डिजीज’ के रुप में इसकी पहचान की गई। हालांकि केरल स्वास्थ्य विभाग ने वायरल संक्रमण के प्रसार की निगरानी करने और भारत के अन्य हिस्सों में इसके प्रसार को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाए। लेकिन सितंबर में असम में टोमैटो फ्लू के 100 से अधिक मामले सामने आए, जो राज्य के स्वास्थ्य विभाग के लिए खतरे की घंटी है। डिब्रूगढ़ जिले के दो स्कूलों से सबसे अधिक मामले सामने आए। इसके बच्चों के बढ़ते खतरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु सरकार को भी टोमैटो फ्लू जैसे वायरस को लेकर परामर्श जारी करना पड़ा।

बच्चों के हाथ-पैर और मुंह पर निशाना
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार वायरल के रुप में टोमैटो फ्लू वायरस का संक्रमण बच्चों के हाथ-पैर और मुंह को अपना निशाना बना रहा है। इस वायरस का संकमण ज्यादा एक से पांच साल की उम्र के बच्चों में देखा जा रहा है। दरअसल देश में कोरोना के कहर के बाद संक्रमण का खतरा नियंत्रण में आया तो टोमैटो फ्लू संक्रमण की शुरुआत केरल, तमिलनाडु और ओडिशा में सामने आने पर ‘हैंड फूट एंड माउथ डिजीज’ के रुप में इसकी पहचान की गई। हालांकि केरल स्वास्थ्य विभाग ने वायरल संक्रमण के प्रसार की निगरानी करने और भारत के अन्य हिस्सों में इसके प्रसार को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाए। लेकिन सितंबर में असम में टोमैटो फ्लू के 100 से अधिक मामले सामने आए, जो राज्य के स्वास्थ्य विभाग के लिए खतरे की घंटी है। डिब्रूगढ़ जिले के दो स्कूलों से सबसे अधिक मामले सामने आए। इसके बच्चों के बढ़ते खतरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु सरकार को भी टोमैटो फ्लू जैसे वायरस को लेकर परामर्श जारी करना पड़ा।

ज्यादा खतनाक नहीं यह वायरस
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार टोमैटो फ्लू की बीमारी हालांकि ज्यादा खतरनाक नहीं मानी गई, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 महामारी के की तरह इस बीमारी के संक्रमण से स्कूलों में बच्चों को प्रभावित करने की आशंका जरुर जताई है, क्योंकि एक अध्ययन के अनुसार वयस्कों में इस बीमारी की संभावना बहुत ही कम है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ही राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डर्मेटोलॉजिस्ट भावुक धीर की माने तो इस तरह के वायरस की दस्तक देश में वायरल बीमारियों के बढ़ने का संकेत है। मसलन स्पष्ट है कि कोविड-19, मंकीपॉक्स और अब टोमैटो फ्लू जैसी बीमारी के प्रकोप के वायरल बीमारियों का युग गति पकड़ रहा है, जिसकी विशेषज्ञों ने शोध करने के बाद भविष्यवाणी की थी।

संक्रमित बच्चे का ध्यान रखना जरुरी
टोमैटो फ्लू कॉक्ससेकी वायरस ए16 (एक गैर-पोलियो एंटरोवायरस) के कारण होता है, जो अत्यधिक संक्रामक है और नाक, गले, तरल पदार्थ और मल-मौखिक मार्ग से स्राव के माध्यम से फैलता है। टोमैटो फीवर शब्द का इस्तेमाल लाल रंग के फफोले के कारण किया गया था, जो टमाटर जैसा दिखता है। केरल में 2007 में इसी तरह का प्रकोप हुआ था। हालांकि अब नए मामले सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन इस बीमारी को रोकने का सबसे अच्छा तरीका उचित स्वच्छता और आसपास के वातावरण की स्वच्छता बनाए रखना है। साथ ही संक्रमित बच्चे को अन्य गैर-संक्रमित बच्चों के साथ खिलौने, कपड़े, भोजन या अन्य सामान साझा करने से रोकना।

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