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लोकसभा चुनाव: मैनपुरी में दांव पर लगी योगी के मंत्री की प्रतिष्ठा!

सपा के गढ़ में सेंध लगाने उतरी भाजपा, बसपा ने खेला बड़ा दांव

भाजपा व सपा के बीच बसपा के सियासी दांव ने दिलचस्प बनाया चुनावी मुकाबला
LP Live, New Delhi: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अंतिम जिले के रुप में पहचाने जाने वाले जिला मैनपुरी में सैफई के मुलायम सिंह यादव परिवार का गढ़ बनी मैनपुरी लोकसभा सीट पर कब्जा करने के लिए भाजपा ने ऐसा चक्रव्यूह रचा है कि इस सीट पर कांटे का त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि प्रमुख टक्कर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच होना तय है, लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती के इस सीट पर शाक्य का टिकट बदलकर शिवप्रसाद यादव को देकर यादव वोटों में विभाजन की नीति अपनाई है, जिससे भाजपा की सियासी रणनीति को फायदा हो सकता है। सपा के गढ़ में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ठाकुर जयवीर को प्रत्याशी बनाया है, जो मैनपुरी शहरी सीट से ही विधायक निर्वाचित हुए थे। दूसरी ओर इस सीट की मौजूदा सांसद डिंपल यादव अपने परिवार की सियासी विरासत को बचाने दूसरी बार चुनाव मैदान हैं। डिंपल यादव यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की धर्मपत्नी हैं।

यूपी की मैनपुरी लोकसभा सीट पर हाई प्रोफाइल चुनाव की संभावना को देखते हुए सबकी नजरें टिकी हैं। जहां मुद्दों के बजाए सभी राजनीतिक दल जातीय आधार पर चुनावी बिसात बिछाते नजर आ रहे हैं। लेकिन इस सीट पर प्रमुख मुकाबला भाजपा व सपा के बीच होने की उम्मीद है। वहीं बसपा का चुनावी दांव चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास है। इसका कारण है कि बसपा प्रत्याशी भी पूर्व विधायक है। बहरहाल इस बार इस सीट पर दिलचस्प चुनाव होना तय माना जा रहा है। डिंपल यादव ने मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई इस सीट पर 2022 के उपचुनाव में जीत दर्ज की थी। चूंकि सैफई के निकट मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने 1989 में ऐसा सियासी जमीन तैयार की थी, जिसके बढ़ते जनाधार के कारण सपा का गढ़ बनी इस सीट पर अब तक भाजपा या बसपा के सभी राजनीतिक दांवपेंच विफल रहे हैं। लेकिन इस बार भाजपा ने ऐसी चुनावी रणनीति का जाल बिछाया है, जिसमें बसपा का दांव भी उसे मजबूत करता नजर आ रहा है। इस सीट को बचाने के लिए हालांकि सपा इस बार पीडीए यानी पिछडा, दलित और अल्पसंख्यक आधारित रणनीति के साथ चुनावी मैदान में है।

क्या है सीट का चुनावी इतिहास
मैनपुरी लोकसभा सीट पर 35 साल से इस सीट पर सपा यानी मुलायम सिंह यादव परिवार का कब्जा है। अब तक 17वीं लोकसभा तक यहां उपचुनावों को मिलाकर कुल 20 बार चुनाव हुए हैं। सपा के सियासी जमावडे से पहले हालांकि 1977 और 1980 तक तत्कालीन जनसंघ और अब भाजपा समर्थित जनता पार्टी के प्रत्याशी जीते है, जबकि 1984 में यहां कांग्रेस के बलराम सिंह यादव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। इससे पहले इस सीट पर कांग्रेस ने आजाद भारत के पहले लोकसभा चुनाव की जीत के बाद चार बार ही जीत दर्ज की है। 1996 से अब तक समाजवादी पार्टी ने यहां दस जीत दर्ज की है, जिसमें तीन उप चुनाव भी शामिल हैं। मुलायम सिंह यादव यहां से खुद चार बार और उनके एक एक बार उनके भतीजे तेजप्रताप सिंह यादव व धर्मेन्द्र यादव भी लोकसभा पहुंचे। इस सीट से पहली बार 1996 में यहां से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे मुलायम सिंह यादव केंद्र में जनता पार्टी की वीपी सिंह सरकार में रक्षा मंत्री भी रहे। पिछले चुनाव में मोदी लहर के बावजूद मुलायम सिंह यादव ने शानदार जीत दर्ज की थी, लेकिन बीमारी के कारण उनके निधन के बाद खाली सीट पर उनकी बहू यानी अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव उप चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची, जो इस बार मुलायम सिंह यादव की सियासी विरासत को बचाने के लिए चुनाव मैदान में है।

जातिगत समीकरण साधने में जुटे दल
लोकसभा चुनाव में यादव बाहुल्य मैनपुरी लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा 3.50 लाख से अधिक यादव मतदाता हैं, जिसके बाद 1.50 लाख ठाकुर, 1.40 दलित, 1.20 लाख ब्राह्मण, करीब एक लाख लोध और एक-एक लाख कुर्मी और मुस्लिम मतदाता मौजूद हैं। यादवों के साथ ठाकुर और दलित वोटर भी इस सीट पर निर्णायक भूमिका में है। समाजवादी पार्टी यहां अपने परंपरागत मुस्लिम और ओबीसी के समर्थन पर सियासत की जमीन बोती रही है। मैनपुरी, करहल, भौगांव, किशनी, जसवंतनगर विधानसभाओं को मिलाकर बनी इस लोकसभा सीट पर 17.3 लाख मतदाताओं के चक्रव्यूह को भेदने के लिए इस सीट पर आठ प्रत्याशी चुनावी मैदान में है।

प्रमुख प्रत्याशियों का सियासी सफर
भाजपा प्रत्याशी जयवीर सिंह ठाकुर फिरोजाबाद के ककहरा निवासी हैं। इसी गांव से ग्राम प्रधानी का चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। 2002 में कांग्रेस और 2007 में बसपा के टिकट पर घिरोर विधानसभा से विधायक चुने गये। जयवीर सिंह 2003 से 2006 तक यूपी सरकार में स्वतंत्र प्रभार के तौर पर स्वास्थ्य मंत्री रहे। जब कि 2007 में बनी मायावती सरकार में सिंचाई राज्य मंत्री बने। इसके बाद वह भाजपा में आए और मैनपुरी विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे, जो योगी सरकार में पर्यटन विभाग का मंत्रालय संभाल रहे हैं। इस सीट पर सपा प्रत्याशी डिम्पल यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की धर्मपत्नी हैं, जो पहली बार 2009 में फिरोजाबाद के उपचुनाव में कांग्रेस के राजबब्बर से हार चुकी हैं। लेकिन कनौज सीट से 2012 में उपचुनाव में निर्विरोध निर्वाचित होकर संसद पहुंची। जबकि दूसरी बार 2014 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची। पिछला चुनाव वह कनौज से हार गई, लेकिन अपने ससुर मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी से उपचुनाव जीतकर सांसद बनी। बसपा प्रत्याशी ने पहली बार बसपा के टिकट से भरथना विधानसभा से जीत हासिल की थी। उसके बाद वे भाजपा में आ गए थे, लेकिन उसके बाद बसपा में वापसी करके चुनावी मैदान में हैं।

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