LP Live, New Delhi: संसद के शीतकालीन सत्र में जहां विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हो रही है, वहीं विपक्ष राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर पक्षपात करने का आरोप मंढने लगे हैं और सभापति को हटाने के लिए विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरु कर दी है, जिसके लिए विपक्ष का इस प्रस्ताव पर 70 सदस्यों के हस्ताक्षर होने का दावा किया गया है।
राज्यसभा में विपक्ष के इस रवैये से सियासी घमासान मचा हुआ है। विपक्ष का आरोप है कि सभापति ने पक्षपात रवैया अपनाया हुआ है। इसी से नाराज विपक्ष उन्हें सभापति पद से हटाने में जुट गया है। इस प्रस्ताव पर विपक्ष के 70 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं, जो प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी 50 हस्ताक्षरों की सीमा से अधिक है। सभापति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। ऐसे में उन्हें हटाने का प्रस्ताव एक बड़ी चुनौती है। इसकी प्रक्रिया में दोनों सदनों में प्रस्ताव बहुमत के साथ पारित होना आवश्यक है।
विपक्ष का आरोप
इस अविश्वास प्रस्ताव की पृष्ठभूमि में सोमवार को राज्यसभा में जॉर्ज सोरोस से जुड़े मुद्दे पर हुए हंगामे का बड़ा योगदान है। विपक्षी दलों का आरोप है कि सभापति धनखड़ ने सत्तारूढ़ दल के पक्ष में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह और राजीव शुक्ला सहित अन्य नेताओं ने भी सभापति पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया। विपक्ष का कहना है कि धनखड़ ने भाजपा सदस्यों को प्राथमिकता देकर बोलने का मौका दिया और विपक्ष के सवालों को नजरअंदाज किया। विपक्ष का कहना है कि सभापति का कार्य निष्पक्ष होना चाहिए, और पक्षपात के आरोपों के चलते यह कदम उठाना जरूरी हो गया है। विपक्षी दलों की माने तो यह प्रस्ताव उनके लोकतांत्रिक अधिकारों और सदन में निष्पक्षता की बहाली के लिए है।
ये है अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया
राज्यसभा के सभापति, जो उपराष्ट्रपति भी होते हैं को पद से हटाने के लिए एक प्रक्रिया अपनाई जाने का प्रावधान है। ऐसे प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है, लेकिन प्रस्ताव पर राज्यसभा में उपस्थित सदस्यों के बहुमत से फैसला लिया जाता है। इससे पहले इस प्रस्ताव को 14 दिन पहले राज्यसभा सचिवालय में जमा करना पड़ता है। इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा में पेश किया जाता है, जहां उसे बहुमत से पारित होना जरूरी है। लेकिन अविश्वास की इस प्रक्रिया के मुताबिक सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करना विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि राज्यसभा और लोकसभा में विपक्ष का बहुमत नहीं है।