

देश में 73 लाख लड़के और 52 लाख लड़कियां मोटापे से परेशान
LP Live, New Delhi: दुनियाभर में पिछले 33 साल में बच्चों, किशोरों और व्यस्कों में मोटापे की समस्या चार गुणा बढ़ी है। यदि भारत की बात की जाए तो साल 2022 में भारत में 1.25 करोड़ बच्चे व किशोर मोटापे जैसी महामारी से ग्रस्त पाए गये। इनमें से 73 लाख लड़के और 52 लाख लड़कियां शामिल हैं।
‘द लांसेट’ नामक पत्रिका में प्रकाशित एक वैश्विक विश्लेषण के मुताबिक अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2022 में पांच से 19 वर्ष की आयु के लगभग 1.25 करोड़ बच्चे एवं किशोर मोटापे का शिकार पाए गये। जबकि पूरी दुनिया में मोटापे से ग्रस्त बच्चों, किशोरों और वयस्कों की कुल संख्या एक अरब से भी अधिक हो चुकी है। शोधकर्ताओं के मुताबिक साल 1990 के बाद से सामान्य से कम वजन वाले लोगों की संख्या कम हो रही है और मोटापा अधिकतर देशों में कुपोषण का सबसे आम रूप बन गया है। मोटापा और सामान्य से कम वजन दोनों ही कुपोषण के स्वरूप हैं और कई मायनों में लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। शोधकर्ताओं की माने तो सामान्य से कम वजन वाली लड़कियों का अनुपात 1990 में 10.3 प्रतिशत से गिरकर 2022 में 8.2 प्रतिशत हो गया और लड़कों का अनुपात 16.7 प्रतिशत से गिरकर 10.8 प्रतिशत हो गया है। जबकि भारत में महिला वयस्कों में मोटापे की दर 1990 के 1.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 9.8 प्रतिशत और पुरुष वयस्कों में मोटापे की दर 0.5 प्रतिशत से बढ़कर 5.4 प्रतिशत हो गई है। हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि आज स्कूल जाने वाले बच्चों और किशोरों में भी मोटापे जैसी यह महामारी साफ दिखाई देती है। पूरी दुनिया की बात करें तो इस अध्ययन में 2022 में 15 करोड़ 90 लाख बच्चे एवं किशोर और 87 करोड़ 90 लाख वयस्क मोटापे की समस्या से जूझ रहे थे। इनमें व्यस्कों की बात करें तो लगभग चार करोड़ 40 लाख महिलाएं और दो करोड़ 60 लाख पुरुष मोटापे का शिकार थे।

दुनिया के 190 से अधिक देशों का किया अध्ययन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वैश्विक डेटा के विश्लेषण के अनुसार दुनियाभर के बच्चों और किशोरों में 2022 में मोटापे की दर 1990 की दर से चार गुणा हुई है, जो बहुत ही चिंताजनक है। शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए 190 से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच वर्ष या उससे अधिक उम्र के 22 करोड़ से अधिक लोगों के वजन और लंबाई का विश्लेषण किया। इस अध्ययन में 1,500 से अधिक शोधकर्ताओं ने योगदान दिया। उन्होंने यह समझने के लिए ‘बॉडी, मास, इंडेक्स’ (बीएमआई) का विश्लेषण किया कि 1990 से 2022 के बीच दुनिया भर में मोटापे और सामान्य से कम वजन की समस्या में क्या बदलाव आया है। शोधकर्ताओं के अनुसार लड़कियों में सामान्य से कम वजन की दर में कमी 44 देशों में देखी गई, जबकि लड़कों में यह गिरावट 80 देशों में देखी गई।
