सेनाओं ने भावी युद्ध क्षेत्र की स्थितियों की भी ली जानकारी
LP Live, New Delhi: भारतीय रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी की ओर से आयोजित पहले अंतरिक्ष अभ्यास में भारत की तीनों सेनाओं ने हिस्सा लिया और ताकत दिखाते हुए क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया। इस अभ्यास के दौरान तीनों सेनाओं के अधिकारियों ने भावी युद्ध क्षेत्र की स्थितियों की जानकारी ली।
अरुणाचल प्रदेश में बुधवार को संपन्न हुए इस तीन दिवसीय अंतरिक्ष अभ्यास की शुरुआत 11 नवंबर सीडीएस जनरल अनिल चौहान द्वारा की गई। इस अभ्यास कार्यक्रम का उद्देश्य अंतरिक्ष युद्ध के क्षेत्र में भारतीय सशस्त्र बलों की रणनीतिक तत्परता को बढ़ाने के लिए एक मील का पत्थर है। वहीं इस प्रशिक्षण से भारत की अंतरिक्ष आधारित परिचालन क्षमताओं को मजबूती मिलेगी। करने, अंतरिक्ष सुरक्षा के लिए तीनों सेनाओं के एकीकरण को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों के अनुसार इस अभ्यास कार्यक्रम के दौरान अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों, अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर चर्चा हुई। इसमें महत्वपूर्ण संपत्तियों की निगरानी और सुरक्षा के साथ ही तेजी से बढ़ते अंतरिक्ष वातावरण में स्थिति जागरूकता बनाए रखने के महत्व पर भी बात हुई। अभ्यास में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को सैन्य, वैज्ञानिक और शैक्षणिक क्षेत्र के अलावा भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के विषय विशेषज्ञों के प्रयासों की जानकारी दी गई।
अत्याधुनिक विमानों का इस्तेमाल
इस अभ्यास में उन्नत लड़ाकू विमान, निगरानी प्लेटफार्म, चिनूक और एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (रुद्र) साथ ही एम777 अल्ट्रा-लाइट होवित्ज़र का उपयोग किया जा रहा है। ये अत्याधुनिक उपकरण क्षेत्र की चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों में जवानों के लिए काफी मददगार हैं। विशेषज्ञों ने सैन्य अंतरिक्ष क्षमताओं और तकनीकों के वर्तमान और भविष्य के परिदृश्य में बहुमूल्य जानकारी दी। इस दौरान रक्षा अंतरिक्ष संचालन में आने वाली चुनौतियों और अंतरिक्ष सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानूनों के बारे में बताया। रक्षा एजेंसियों के अनुसार इस अंतरिक्ष अभ्यास 2024 से तीनों सेनाओं और रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी के बीच अंतर-संचालन क्षमता में सुधार, आपसी समझ और सामंजस्य को बढ़ावा मिला।