भारत की जल्द ही चांद पर तिरंगा लहराने की तैयारी
इसरो ने सफलता पूर्वक लांच किया नौवहन उपग्रह


इसी साल लांच हो सकता है चंद्रयान मिशन-3 और गगनयान मिशन
LP Live, New Delhi: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने सोमवार को भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के जरिए एक नौवहन उपग्रह को लॉन्च किया है, जो सैटेलाइट्स देसी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) यानी नेविगेशन कांस्टेलेशन को बेहतर बनाएगा। खासबात ये है कि भारत दुनिया का इकलौता देश है जिसके पास रीजनल सैटैलाइट-बेस्ड नेविगेशन सिस्टम है।
इसरों ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 10.42 बजे 51.7 मीटर ऊंचे रॉकेट जीएसएलवी एफ12 के जरिए एनवीएस-01 सैटेलाइट को लॉन्च कर बड़ी सफलता हासिल की। दूसरी पीढ़ी के सैटेलाइट को भारत अपने नेविगेशन कांस्टेलेशन में शामिल करेगा। इस सफलता के बाद इसरों ने संकेत दिये हैं कि साल 2023 में ही भारत चंद्रयान मिशन-3 और गगनयान मिशन लॉन्च कर सकता है। मसलन यदि सब कुछ सही रहा, तो आने वाले महीनों में चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा से एलवीएम-3 द्वारा लॉन्च किये जाने का महत्व होगा, जो सीधे चांद के सतह पर उतरेगा और वहां पर परीक्षण करेगा यानी चांद पर तिरंगा लहराएगा। अब तक इसरो द्वारा लॉन्च किए गए विदेशी सैटेलाइट की संख्या 424 हो चुकी है।

मार्च में बनाया था कीर्तिमान
इसरो ने गत 26 मार्च को एक साथ 36 वनवेब इंटरनेट उपग्रहों को लॉन्च करके रिकार्ड कायम किया था। सोमवार को लांच सैटेलाइट को लक्षित कक्षा में स्थापित करके जीएसएलवी एफ12 ने बड़ी सफलता हासिल की है। इस सैटेलाइट के जरिए किसी भी स्थान की सबसे सटीक रियल टाइम पोजिशनिंग का पता लगाया जा सकेगा यानी यह सैटेलाइट भारत और आसपास के करीब 1,500 किलोमीटर के एरिया का रियल टाइम अपडेट देगा। इसरो के अनुसार 2,232 किलो वजनी सैटेलाइट एनवीएस-01 पूरे कांस्टेलेशन में सबसे भारी है, जिसकी लांचिंग के 19 मिनट बाद ही सैटेलाइट्स की अलग-अलग होने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी, जिसके बाद यह 36 सैटेलाइट्स अलग-अलग चरणों में पृथक हो गई थी। अभी भारत के क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम कांस्टेलेशन में सात सैटेलाइट हैं। उनमें से हर एक का वजन लिफ्टऑफ के समय करीब 1,425 किलोग्राम होता है। इन सभी को पोलर सैटेलाइट लॉन्च वीइकल के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया था।
