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भारतीय सेना के भोजन में शामिल हुआ ‘बाजरा’

सैनिकों के पोष्टिक आहर में मोटे अनाज से मिलेगी नई ताकत

अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष बनाने के लिए हुआ निर्णय
LP Live, New Delhi: केंद्र सरकार ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित करने पर भारत सरकार मोटे अनाज की खपत को बढ़ावा दे रही है। इसी के तहत अब भारतीय सेना के भोजन में नए पोष्टिक आहर के रुप में बाजरा शामिल किया जा रहा है। सरकार ने विशेष रुप से भारत की उत्तरी सीमाओं पर तैनात सैनिकों के लिए मूल्यवर्धित बाजरा वस्तुओं और स्नैक्स को पेश करने पर विशेष जोर दिया गया है।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार भारतीय सैनिकों को दिये जाने वाले आहार में अब मोटे अनाज से तैयार किये गए आटे को शामिल करने की शुरुआत की गई है। इस ऐतिहासिक निर्णय के तहत सैनिकों के स्वास्थ्य लाभ की दिशा में उनके भोजन में पारंपरिक मोटा अनाज इस्तेमाल करने का निर्णय लिया गया है। सरकार का मानना है कि मोटे अनाज से तैयार किये गए खाद्य पदार्थ, हमारी भौगोलिक एवं जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल जीवन शैली से संबंधित बीमारियों को दूर करने तथा सैनिकों की संतुष्टि और मनोबल बढ़ाने में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे। इसलिए मोटा अनाज अब सेना में सभी रैंकों के लिए दैनिक भोजन का एक अभिन्न हिस्सा होगा।

मोटे अनाज की खरीद की अनुमति
मंत्रालय के मुताबिक सैनिकों को वर्ष 2023-24 से उपलब्ध कराए जाने वाले खाद्यान्न में अनाज के रुप में चावल और गेहूं का आटे की अधिकृत पात्रता के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होने वाले मोटे अनाज से तैयार आटे की खरीद के लिए सरकार से अनुमति मांगी गई है। मोटे अनाज की सरकारी खरीद और इसका वितरण, इस्तेमाल किये गए अनाज के विकल्प तथा उसकी मांग पर तय मात्रा पर आधारित होगा। मोटा अनाज प्रोटीन, सूक्ष्म पोषक तत्वों और फाइटो-रसायनों का एक अच्छा स्रोत होता है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों, बड़ाखानों, कैंटीनों और घर पर खाना पकाने के दौरान मोटा अनाज का व्यापक रूप से उपयोग करने के लिए परामर्श जारी किये गए हैं।

मोटे अनाज के व्यंजन का प्रशिक्षण
मोटे अनाज से आरोग्यजनक, स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन तैयार करने के लिए रसोइयों को केंद्रीकृत प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। देश की उत्तरी सीमाओं पर तैनात सैनिकों के लिए गुणवत्तापूर्ण मोटा अनाज उत्पादों और हल्के-फुल्के नाश्ते को दिये जाने पर विशेष बल दिया गया है। सीएसडी कैंटीन के माध्यम से मोटे अनाज द्वारा निर्मित खाद्य पदार्थ पेश किए जा रहे हैं, साथ ही शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में इनकी बिक्री के लिए डेडिकेटेड कॉर्नर्स की स्थापना की जा रही है। शिक्षण संस्थानों में ‘अपने मोटे अनाज को जानो’ जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।

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