देश में लागू हुआ नया ‘वक्फ़ कानून’
अब किसी जमीन को घोषित नहीं किया जा सकेगा वक्फ़़ संपत्ति


राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना
सुप्रीम कोर्ट में कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अगले हफ्ते होगी सुनवाई
LP Live, New Delhi: संसद में पारित किये गये वक्फ़ संशोधन कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद मंगलवार से देश में लागू कर दिया गया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके बाद तत्काल प्रभाव से वक्फ़ कानून लागू हो गया और इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं को शीर्ष अदालत अगले सप्ताह सुनवाई करेगी।
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा वक्फ संशोधन अधिनियम को लागू करने के लिए मंगलवार को अधिसूचना जारी की है। यह अधिसूचना संसद के दोनों सदनों से पारित वक्फ संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद जारी किया है। अधिसूचना जारी होते ही देशभर में वक्फ़ संशोधन कानून लागू हो गया है। अधिसूचना के अनुसार वक्फ संशोधित कानून के रुप में आठ अप्रैल मंगलवार से यह नया कानून तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। अधिसूचना के अनुसार केंद्र सरकार ने संविधान प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए अधिनियम की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत 8 अप्रैल 2025 को वह तारीख घोषित की है जिस दिन से वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के सभी प्रावधान प्रभावी हो जाएंगे।

वक्फ बोर्डों के अधिकार में परिवर्तन
देश में लागू हुए अधिनियम के तहत वक्फ संपत्तियों से संबंधित प्रावधानों में आवश्यक संशोधन किए गए हैं, जिनका उद्देश्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाना और वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करना है। संशोधन अधिनियम के लागू होने के साथ ही वक्फ बोर्डों की भूमिका, उनके अधिकार और जिम्मेदारियों में बदलाव आया है, जिससे वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, देखरेख और उपयोग को अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा। सरकार का कहना है कि यह अधिनियम समुदाय की धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है और इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना और उनका सार्वजनिक हित में उपयोग सुनिश्चित करना है।
सुप्रीम कोर्ट में कानून को चुनौती
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद वक्फ संशोधन विधेयक कानून बन चुका है। हालांकि, संसद के दोनों सदनों से पारित होते ही इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गई है । अभी तक कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं जिनमें इसे संविधान के खिलाफ और धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताते चुनौती दी गई है।
